रखा छात्र नेताओं का रूप

अफसोस की बात तो यह है कि यूनिवर्सिटी में ज्यादातर दलाल छात्र नेताओं के रूप में आते हैं। ये नेतागिरी के सहारे अधिकारियों और कर्मचारियों से संबंध बनाकर स्टूडेंट्स से उगाही करते है। कैंपस में आए दिन इन छात्र नेताओं का जमावड़ा लगा रहता है। कुछ ही ऐसे छात्र नेता हैं जो छात्रों के हित के लिए प्रयासरत रहते हैं। लेकिन गलत कामों में संलिप्त रहने वाले छात्र नेताओं की यूनिवर्सिटी में फौज है।

फर्जी डिग्री मामले में भी लिप्त

हाल ही में हुए फर्जी डिग्री रैकेट में भी एक छात्र नेता अमितराज का नाम सामने आया। एक छात्र नेता तो पुलिस ने पकड़ा भी है। छात्र नेता अमितराज के विवि के कई अधिकारियों से संबंध थे। उसने हाल ही में कई मामलों का खुलासा भी किया था। कई हंगामों और मांगों के पीछे भी अमितराज का रोल था।

पहले भी खुले हैं कई नाम

यूनिवर्सिटी में हुए फर्जीवाड़ों के बाद जब कार्रवाई होती है तो गाज कर्मचारियों के सिर पर गिर जाती है। इस बीच अधिकारी और छात्र नेता साफ बच निकलते हैं। इस से पहले भी बीकॉम में फर्जी डिग्री मामले में तीन कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया। इस दौरान एक दलाल का नाम सामने आया था। 'सफेद सफारीÓ वाला सरगना के नाम से चर्चित एक दलाल का नाम यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दबा दिया और न ही कोई कार्रवाई हुई। वहीं इंडिका वाले दलाल का नाम भी नहीं खुल पा रहा है।

फंसेगी कईयों की गर्दनें

हाल ही में हुए फर्जी डिग्री रैकेट में कई अधिकारियों और कर्मचारियों की गर्दनें फंसेंगीं। सूत्र बताते हैं कि पांच कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं। इनमें से एक कर्मचारी को तो पुलिस ने हाजिर किया, लेकिन मामला सुलट गया है। वहीं, सस्पेंड चल रहे एक कर्मचारी के नाम की चर्चा भी जोरों पर है। हाल ही में एक बड़े अधिकारी ने एक छात्र नेता को अपने आवास पर बुलाकर उससे नाम पूछने चाहा। इससे लगता है कि अधिकारियों को भी जांच में नाम आने का डर सता रहा है।

ऐसे बनते हैं छात्र नेता

ये दलाल छात्र नेता इसलिए बन जाते हैं क्योंकि एक तरफ तो इनकी नेतागिरी चमकती रहती है। साथ में दलाली भी। दूसरी ओर अगर कभी कोई कार्रवाई होती है, तो यूनिवर्सिटी स्टूडेंट होने की बात कहकर बच निकलते हैं। ये हर साल कोर्स बदल-बदलकर यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेते हैं, ताकि नेतागिरी भी चलती रहे और दलाली भी.

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