कटौती करनी पड़ेगी

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) के आडिट से बिजली वितरण कंपनियां काफी नाराज हैं. कंपनियों ने बृहस्पतिवार को सरकार पर पलटवार किया था. बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) ने सरकार को रिटेन में लेटर दिया है. बीवाईपीएल ने कहा है कि कंपनी के पास बिजली खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं. इसलिए उसे आठ से दस घंटे की बिजली कटौती करनी पड़ सकती है. बिजली कंपनियों ने सरप्लस बिजली बेचने से भी इन्कार कर दिया है. वहीं एनटीपीसी ने केजरीवाल की सरकार को साफ कह दिया है कि बिना पैसे के बिजली नहीं मिलेगी.

ऊर्जा सचिव को लेटर

बीवाईपीएल ने ऊर्जा सचिव को लिखे लेटर में कहा कि कई वर्षो से बिजली दर की घोषणा न होने से कंपनी को वर्ष 2011-12 में 2855 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. इसकी सूचना दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) ने जुलाई 2013 में जारी आदेश में कि थी. उसने यह भी माना था कि 31 मार्च, 2013 तक बीवाईपीएल का घाटा 6229 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. बीवाईपीएल का कहना है कि वह बैंकों से उधार लेकर अपना कामकाज कर रही है. यही वजह है कि कंपनी के ऊपर दिल्ली की बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन कंपनियों का 1351 करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है.

टेम्परेरी इंतजाम

बीवाईपीएल का कहना है कि पैसा न होने से दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) एवं सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) 259 मेगावाट बिजली नहीं दे रहे हैं. उसने इस कमी को दूर करने के लिए टेम्परेरी इंतजाम किए हैं. कंपनी नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) और नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी) को भी पैसा देने की स्थिति में नहीं है. जिससे दोनों कंपनियों से सोमवार से 500 मेगावाट बिजली नहीं मिल पाएगी. इसके चलते सोमवार से आठ से दस घंटे की बिजली कटौती करनी पड़ सकती है.

प्रभावित इलाके

बीवाईपीएल ने सरकार से अपील की है कि वह केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से बात कर यह सुनिश्चित करे कि एनटीपीसी और एनएचपीसी उसे बिजली देती रहें. साथ ही केंद्रीय वित्त मंत्रालय से अनुरोध करे कि बीवाईपीएल को बैंक लोन दिया जाए. बीवाईपीएल यमुनापार यानी ईस्ट दिल्ली और सेंट्रल दिल्ली में बिजली की आपूर्ति करती है. यदि कंपनी और सरकार के बीच विवाद नहीं सुलझता है, तो यहां के लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ेगा.

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