कम रही कंपनी की विजिट

पिछले दो सालों से इंजीनियरिंग कॉलेज में लगातार प्लेसमेंट्स बढ़ रहे थे लेकिन इस साल अचानक इनमें भारी गिरावट आई है। विप्रो, टेक महेंद्रा, ओमेगा मेरिटाइम जैसी कई बड़ी कंपनीज ने कैंपस में सेलेक्शन के लिए विजिट नहीं की है। जो कंपनीज अभी तक आई भी हैं उन्होंने भी लास्ट इयर से कम स्टूडेंट्स को सेलेक्ट किया है।

टीसीएस ने भी नहीं दिया साथ

लास्ट इयर ही टीसीएस ने इंजीनियरिंग कॉलेज की ग्रेडिंग इंप्रूव करके सी से बी ग्रेड की थी। कंपनी ने 2010-11 में कॉलेज के 69 स्टूडेंट्स को सेलेक्ट किया था। 11-12 में ग्रेडिंग इंप्रूव होने के बाद कंपनी ने 100 स्टूडेंट्स का सेलेक्शन किया। कॉलेज को पूरी उम्मीद थी कि इस साल भी यह कंपनी 90 से 100 स्टूडेंट्स को जरूर सेलेक्ट करेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। टीसीएस ने इस साल सिर्फ 55 स्टूडेंट्स को सेलेक्ट किया है।

अब तक सिर्फ 94 सेलेक्शन

सेशन 2012-13 में अभी तक सिर्फ 94 स्टूडेंट्स का सेलेक्शन हुआ है। इसमें भी 15 स्टूडेंट्स इंडियन आर्मी में सेलेक्ट हुए हैं। जबकि सेशन 2011-12 में कॉलेज में 10 कंपनीज में 195 सेलेक्शन्स हुए थे। सेशन 10-11 में भी सेलेक्शन्स काफी अच्छे रहे थे। उस समय 14 कंपनीज ने कॉलेज के कुल 173 स्टूडेंट्स को सेलेक्ट किया था। लास्ट इयर से कंपेयर करें तो अभी तक जो सेलेक्शन हुए हैं वह आधे से भी कम हैं।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में सबसे कम सेलेक्शन

बीटेक की डिफरेंट ब्रांचेज की बात करें तो सबसे बुरा हाल मैकेनिकल इंजीनियरिंग का है। इस डिपार्टमेंट से सिर्फ 6 स्टूडेंट्स का कैंपस सेलेक्शन हुआ है। इनमें भी 5 स्टूडेंट्स तो इंडियन आर्मी ने सेलेक्ट किए हैं और सिर्फ 1 स्टूडेंट का सेलेक्शन टीसीएस में हुआ है। लास्ट इयर इस डिपार्टमेंट के 23 स्टूडेंट्स का सेलेक्शन हुआ था।

टेंशन में स्टूडेंट्स

नेक्स्ट मंथ से स्टूडेंट्स के सेमेस्टर एग्जाम शुरू हो जाएंगे। जून फर्स्ट या सेकेंड वीक तक फाइनल इयर स्टूडेंट्स पूरी तरह फ्री हो जाएंगे। फाइनल इयर स्टूडेंट्स ने बताया कि लास्ट इयर जिन स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट हुआ था उनकी एग्जाम के बाद कंपनी में ट्रेनिंग शुरू हो गई थी। लेकिन इस बार जो स्टूडेंट्स अभी तक सेलेक्ट नहीं हुए हैं उनको इस बात का डर सता रहा है कि एग्जाम खत्म होने के बाद वह क्या करेंगे? उनको जॉब के लिए कहीं भटकना न पड़े?

प्लेसमेंट्स देख चुनते हैं कॉलेज

एडमिशन की काउंसिलिंग के टाइम गवर्नमेंट कॉलेज चुनते समय स्टूडेंट दो ही चीजों को ध्यान में रखते हैं। पहला वहां पढ़ाई कैसी होती है और दूसरा वहां के प्लेसमेंट्स। इनमें भी प्लेसमेंट्स को स्टूडेंट्स प्राथमिकता देते हैं। क्योंकि जहां के प्लेसमेंट्स अच्छे होते हैं वहां स्टूडेंट्स खुद का करियर सिक्योर फील करते हैं। उनको लगता है कि पढ़ाई पूरी होने से पहले ही उनके हाथ में एक अच्छी जॉब होगी। लेकिन इस साल एमएमएमईसी के स्टूडेंट्स के साथ ऐसा नहीं है।

स्टूडेंट्स के अनुसार कॉलेज की लापरवाही

कैंपस सेलेक्शन को लेकर कॉलेज के कुछ फाइनल इयर स्टूडेंट्स ने बताया कि सेलेक्शन कम होने का मेन रीजन कॉलेज की ओर से कंपनीज को प्रॉपरली अप्रोच न करना है। स्टूडेंट्स ने बताया कि विप्रो जैसी कंपनीज अन्य सिटीज के इंजीनियरिंग कॉलेजों से तो सेलेक्शन कर रही हैं लेकिन यहां नहीं आ रहीं। जबकि इस कॉलेज की मार्केट में अच्छी इमेज है।

हम लोग स्टूडेंट्स के प्लेसमेंट को लेकर चिंतित हैं। लगातार कंपनीज को बुलाने का प्रयास हो रहा है। विप्रो ने लास्ट इयर जो सेलेक्शन किए थे उनको इस साल ज्वाइन कराया। इसी वजह से वह इस साल नहीं आई। मार्केट में रिसेशन का असर भी प्लेसमेंट्स कम होने का रीजन है।

प्रो। जेपी सैनी, प्रिंसिपल, एमएमएमईसी

सेशन 2010-11: 173 सेलेक्शन

सेशन 2011-12: 195 सेलेक्शन

सेशन 2012-13: 94 सेलेक्शन