- सोमवार को चिकित्सा प्रबंधन समिति की हुई बैठक

- बैठक में 1 करोड़ 20 लाख का बजट किया गया स्वीकृत

- दून हॉस्पिटल में तैनात होंगे तीन नए ईएमओ

DEHRADUN: दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में अब मरीजों को दवा के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा न ही लैबोरेट्री में रीजेंट्स की कमी से हॉस्पिटल प्रशासन को जूझना पड़ेगा। लंबे समय से दवा और रीजेंट्स का टोटा झेल रहे दून हॉस्पिटल को दवा खरीद के लिए एक करोड़ ख्0 लाख का बजट स्वीकृत कर दिया गया है। सोमवार को चिकित्सा प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की गई जिसमें बजट की स्वीकृति दी गई।

मरीज-अस्पताल दोनों को राहत

दून हॉस्पिटल में मरीजों को लंबे समय से दवाओं के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा था, हॉस्पिटल प्रशासन का कहना था कि दवा के लिए उसके पास पर्याप्त बजट ही नहीं है। मरीजों की यह समस्या लगातार आईनेक्स्ट प्रकाशित करता रहा। आईनेक्स्ट ने चिकित्सा प्रबंधन समिति की जल्द बहाली को लेकर भी खबर प्रकाशित की थी। सोमवार चिकित्सा प्रबंधन समिति (सीपीसी) की बैठक आयोजित की गई, जिसमें हॉस्पिटल के लिए दवा, रीजेंट और छोटे उपकरणों के लिए एक करोड़ ख्0 लाख के बजट को स्वीकृति दी गई। अब हॉस्पिटल प्रशासन के पास दवाओं को लेकर कोई एक्सक्यूज नहीं रहेगा। दून मेडिकल हॉस्पिटल के एमएस डॉ। केके टम्टा ने बताया कि बजट मिलने से हॉस्पिटल और मरीज दोनों को राहत मिलेगी।

वेंटिलेटर आज से होगा शुरू

हॉस्पिटल को बजट मिलने के बाद अब दून मेडिकल कॉलेज और महिला हॉस्पिटल में लंबे समय से बंद पड़े बेबी वार्मर, वेंटिलेटर व फोटोथैरेपी यूनिट भी आज से सुचारू हो जाने की उम्मीद है। इसके अलावा अस्पताल की इमरजेंसी में पर भी अब दबाव कम हो जाएगा।

तीन ईएमओ की नियुक्ति

प्रबंधन समिति ने दून मेडिकल कॉलेज में तीन ईएमओ की नियुक्ति के मामले को भी हरी झंडी दे दी है। दून मेडिकल कॉलेज की एमरजेंसी वार्ड में अब कुल छह ईएमओ तैनात होंगे। बैठक की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ। प्रदीप भारती गुप्ता ने की। इस दौरान मुख्य कोषाधिकारी गुलफाम अहमद, चिकित्सा आधीक्षक डॉ। केके टम्टा, उप चिकित्सा आधीक्षक डॉ। मीनाक्षी जोशी, स्त्री एवं प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ। चित्रा जोशी, डॉ। जेएस राणा आदि रहे मौजूद।

हीमोफीलिया मरीजों को राहत

चिकित्सा प्रबंधन समिति के बजट की स्वीकृति के बाद हीमोफीलिया पीडि़त मरीजों के लिए मेडिकल कॉलेज अब अपने स्तर पर ही फैक्टर खरीदेगा। बजट मिलने से मेडिकल कॉलेज की अब स्वास्थ्य विभाग पर निर्भरता भी खत्म होगी, अपने स्तर से वह जरूरी उपकरण और दवा इत्यादि की खरीद कर सकेगा।

लंबे समय से लटकी थी बैठक

दरअसल चिकित्सा प्रबंधन समिति की बहाली को लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने तीन महीने पहले ही घोषणा कर दी थी, लेकिन यह प्रक्रिया तब से अब तक लटकी रही। प्रबंधन समिति की बैठक न होने के चलते ही हॉस्पिटल के लिए बजट की स्वीकृति नहीं हो पा रही थी। सोमवार को यह गतिरोध दूर हुआ और बजट की स्वीकृति हुई।

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बजट मिलने के बाद अब हॉस्पिटल में दवाइयों की किसी भी तरीके से दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा तकनीकी दिक्कतों के कारण बंद पड़ी मशीनों को भी तत्काल शुरू कर दिया जाएगा।

- डॉ। केके टम्टा, एमएस, दून मेडिकल हॉस्पिटल।