कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Budhwa Mangal 2023 : बुढ़वा मंगल उत्सव हनुमान जी के वृद्ध रूप को समर्पित है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद महीने के आखिरी मंगलवार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल बुढ़वा मंगल 26 सितंबर को मनाया जा रहा है। इसे बूढ़े मंगल के नाम से भी जाना जाता है। बुढ़वा मंगल उत्तर भारत में अधिक प्रमुखता से मनाया जाता है। बुढ़वा मंगल के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। हनुमान मंदिरों में बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने जाते हैं। इस दिन लोग विशेष अनुष्ठानाें के साथ हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं। बड़ी संख्या में लोग हनुमान जी को चोला भी चढ़ाते हैं। मान्यता है कि बुढ़वा मंगल पर हनुमान जी के व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन व दर्शन से सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं से राहत मिलती है। नए प्रयासों में सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा हनुमान जी अपने भक्तों की हर मनोकामना की पूर्ति करते हैं।

बुढ़वा मंगल मनाने के पीछे की मान्यताएं

बुढ़वा मंगल मनाने का इतिहास महाभारत काल और रामायण काल से जुड़ा बताया जाता है। महाभारत काल में भीम को अपनी प्रचंड शक्ति के कारण बहुत घमंड हो गया था। भीम के घमंड को तोड़ने के लिए, रुद्र अवतार प्रभु हनुमान ने खुद को एक बूढ़े बंदर के रूप में ढाला और भीम के घमंड को नष्ट कर दिया। बाद में इस दिन को बुढ़वा मंगल के रूप में पूजा जाने लगा। वहीं एक अन्य मत के अनुसार रामायण काल में भाद्रपद माह के अंतिम मंगलवार को रावण ने माता सीता की खोज में निकले प्रभु हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी थी। हनुमान जी ने अपने विराट स्वरूप से लंका को जलाया और रावण का घमंड चूर किया। इसके 25 दिन बाद दशहरा के दिन रावण का वध हुआ था। इसी वजह से भाद्रपद के आखिरी मंगलर के बुढ़वा मंगल के रूप में मनाया जाता है।