अनु वर्मा (फिल्‍म समीक्षक)। ऐसा कोई सगा नहीं जिसको ठगा नहीं, लूट ले वो दुनिया को ठेंगा दिखा के... गुलजार द्वारा लिखे गए ये गाने आज भी आपके जेहन में तरोताजा हैं। कॉन फिल्मों के रूप में बंटी बबली के करामात हम सभी ने खूब एंजॉय किया था। लेकिन इस बार नई बंटी बबली में वह चार्म पूरी तरह मिसिंग है। यहां पुरानी बबली के अलावा पुराना मजा, रोमांच कुछ भी नहीं है। पढ़ें पूरा रिव्यू

फिल्म : बंटी और बबली-2

कलाकार : सैफ अली खान, रानी मुखर्जी, सिद्धांत चतुर्वेदी, शर्वरी, पंकज त्रिपाठी

निर्देशक : वरुण वी शर्मा

रेटिंग : दो स्टार

क्या है कहानी

कहानी दो युवा लड़के और लड़की की है। दोनों को अपने सपने पूरे करने है। थोड़ा सोशल सर्विस भी करना है। सो, वह पुराने बंटी बबली का ब्रांड लेकर लोगों को ठगते हैं। पुराने बंटी बबली सेटल लाइफ जी रहे हैं। लेकिन उन्हें इस बात से गुस्सा है कि हमारा ब्रांड चुरा के ठगी करने वाले ये नए लोग होते कौन हैं। सो, वह दोनों को मजा चखाने के लिए फिर से मैदान में उतरते हैं। अफसोस की बात यह है कि इस बार के बंटी बबली गंगा नदी का सौदा तो करते हैं, लेकिन जो अंदाज अपनाते हैं, वह ऐसा लगता है मानो गांव के पोखर को बेच रहे हों। ऐसे ही जितनी भी ठगी करते हैं, वे सारे बदमजा हैं। अंत भी काफी अनुमानित है।

क्या है अच्छा

बैकड्रॉप चूंकि पुरानी वाली फिल्म का है। सो, जेहन में यही बात रहती है कि पुराने वाली केमेस्ट्री नजर आएगी। कुछ हद तक राकेश उर्फ बंटी और विम्मी उर्फ बबली में वह दिखाई भी देता है।

क्या है बुरा

कलाकारों की ओवर एक्टिंग अच्छी नहीं लगती है, युवा बंटी बबली में केमेस्ट्री मिसिंग है। कहानी में ट्विस्ट की कमी है। रोमांच नहीं है। छोटे शहर के किरदारों का कैरीकेचर अंदाज अधिक नजर आया है। फ्लेवर नहीं है छोटे शहर का। साथ ही गुलजार के गाने और वह लोकप्रिय संगीत भी मिसिंग है।

अदाकारी

पंकज त्रिपाठी ने सीमित दृश्यों में भी दिल जीता है। नए कलाकारों में सिद्धांत और शर्वरी ने औसत ही काम किया है। सैफ अली खान वर्सेटाइल एक्टर हैं। उनका काम बढ़िया हैं। रानी से और अधिक की उम्मीद थी।

वर्डिक्ट

बंटी और बबली वन के फैंस निराश होंगे, लेकिन सिर्फ नई वाली फ्रेश फिल्म देखने वाले युवाओं को पसंद आएगी

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