2016 में लांच हुआ था कार्ड

50 हजार से अधिक कार्ड पहले साल

33 हजार स्मार्ट कार्ड अब

10 फीसद की मिलती है छूट

- हर साल स्मार्ट कार्ड से सफर करने वालों की संख्या हो रही कम

- कैशलेस पेमेंट के लिए परिवहन निगम ने शुरू किया था कार्ड

sanjeev.pandey@inext.co.in

LUCKNOW:

पैसेंजर्स की सुविधा के लिए परिवहन निगम ने स्मार्ट कार्ड योजना शुरू की. लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया लेकिन कंडक्टर्स की कमाई बंद होने लगी तो उन्होंने इस योजना को फ्लॉप करने का खेल शुरू कर दिया. 2016 में जब यह योजना लांच हुई थी तो उसी साल 50 हजार से अधिक स्मार्ट कार्ड की सेल हुई थी लेकिन अब यह संख्या सिमटकर 33 हजार के आसपास आ गई है. विभागीय अधिकारियों ने अनुसार जल्द स्मार्ट कार्ड को फिर प्रमोट करने के लिए कदम उठाए जाएंगे.

मिलती है 10 फीसद छूट

डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए स्मार्ट कार्ड से यात्रा पर 10 फीसद की छूट मिलती है. कैश पेमेंट हाथ में न आने से कंडक्टर्स खुले पैसे न होने का बहाना नहीं बना पाते हैं. जिससे उनकी ऊपरी कमाई पर असर पड़ रहा है. यही कारण है कि उन्होंने इस योजना को फेल करने का काम शुरू कर दिया.

मशीन नहीं कर रही काम

सफर के दौरान जब पैसेंजर्स टिकट के लिए स्मार्ट कार्ड कंडक्टर को देते हैं तो वह मशीन खराब होने का बहाना बना देते हैं. इस तरह की कई शिकायतें विभाग के अधिकारियों के पास आई हैं. यही नहीं आए दिन इटीएम खराब होने से भी लोगों ने स्मार्ट कार्ड से दूरी बनाना शुरू कर दिया है. पैसेंजर्स का कहना है कि जब कार्ड रीचार्ज करने के बाद भी उन्हें कैश पेमेंट करना पड़ रहा है तो इस कार्ड का मतलब क्या है. लोगों ने बताया कि एक कंडक्टर एक दिन में खुले पैसे न होने की बात कर 600 से 1 हजार रुपए तक की कमाई कर लेते हैं.

हटाए जाएंगे कंडक्टर्स

रोडवेज अधिकारियों के अनुसार समीक्षा बैठक में स्मार्ट कार्ड को प्रमोट करने का आदेश दिया गया है. वहीं ऐसे कंडक्टर्स पर भी निगाह रखने को कहा गया है जो इसे लेकर विभाग की छवि खराब कर रहे हैं. ऐसे कंडक्टर्स को तुरंत रूट से हटाए जो पैसेंजर को परेशान कर रहे हैं.

स्मार्ट कार्ड से सफर करने के लिए पैसेंजर्स को प्रोत्साहित किया जाएगा. कंडक्टर्स उनकी बकाया धनराशि नहीं हड़प सकते और खुले पैसे की भी टेंशन नहीं रहती है.

राजेश वर्मा, मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन

परिवहन निगम

कब कितने स्मार्ट कार्ड

वर्ष संख्या

2016-17 55,212

2017-18 50,223

2018-19 33,346