- सपा के सिंबल साइकिल को लेकर आयोग में हो रही सुनवाई ने प्रचार सामग्री सेल करने वाले व्यापारियों की उड़ाई नींद

- चुनाव से पहले सपा के सिंबल के झंडे, पोस्टर, बैनर तैयार कर कमाने की थी तैयारी, बाप बेटे के विवाद के चलते फंसा है ऑर्डर

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

समाजवादी पार्टी में चल रहे घमासान और अब पार्टी के सिंबल साइकिल पर अपना हक जमाने के लिए चुनाव आयोग की शरण में अखिलेश और मुलायम के पहुंचने के बाद पूरा मामला बुरी तरह से उलझता जा रहा है। पारिवारिक राजनीतिक दंगल का असर चुनावी बाजार के मिजाज गड़बड़ कर रहा है। दरअसल पिता पुत्र और सिंबल को लेकर चल रही किचकिच के चलते सपा सिंबल की प्रचार सामग्री डंप हो गई है। जिसके कारण प्रचार सामग्री सेल करने वाले दुकानदारों के आगे बड़ा संकट पैदा हो गया है। क्योंकि अगर सिंबल जब्त होता है तो फिर चुनाव की तैयारियों को लेकर जुटाई गई ये सारी प्रचार सामग्री बेकार हो जाएगी।

लोकली होती है डिमांड

किसी भी चुनाव में सपा की प्रचार सामग्री लोकल लेवल पर हर दुकानदार उपलब्ध करा देता है। यही वजह है कि इलेक्शन में ताल ठोक रहे कैंडीडेट चुनाव से महीनों पहले ही झंडे, बैनर, पोस्टर और स्टीकर्स समेत बिल्लों का ऑर्डर दे देते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ लेकिन अचानक से उपजे पिता पुत्र के विवाद ने सारे मार्केट का बैंड बजा दिया है। नीचीबाग पर प्रचार सामग्री सेल करने वाले मनीष का कहना है कि करीब 50 लाख से ज्यादा का माल फंसा है। अगर साइकिल पर फैसला हो जाता है तो सारा माल खप जायेगा नहीं तो ये चुनाव उनके लिए बहुत ज्यादा नुकसान वाला साबित होगा।