पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सलमान बट, तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद आसिफ़ और मोहम्मद आमिर को पिछले साल लंदन के साउथवार्क क्राउन कोर्ट ने 'स्पॉट फ़िक्सिंग' के मामले में जेल की सज़ा सुनाई थी। सलमान बट को दो साल छह महीने, तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद आसिफ़ को एक साल और आमिर को छह महीने की सज़ा सुनाई गई थी।

साल 2010 में इंग्लैंड के खिलाफ़ खेले गए लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान जानबूझकर नो-बॉल फेंकने के आरोपी मोहम्मद आमिर पिछले महीने ही जेल से रिहा होकर पाकिस्तान लौटे हैं।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक जेल से रिहा होने के बाद स्काई स्पोर्ट्स को दिए एक साक्षात्कार में मोहम्मद आमिर ने कहा कि 2010 के इंग्लैंड दौरे के दौरान उन्होंने अली नाम के एक व्यापारी को अपने बैंक खाते की जानकारी भेजी और एसएमएस के ज़रिए उससे पूछा कि उसे खाते का नंबर क्यों चाहिए।

आमिर के मुताबिक लॉर्ड्स टेस्ट से एक दिन पहले मज़हर माजिद ने उनसे मुलाकात करनी चाही और बाद में सलमान बट भी वहां पहुंच गए। मज़हर माजिद ने उन्हें बताया कि मैच फिक्सिंग के सिलसिले में आईसीसी अली को भेजे गए संदेशों की जांच कर रहा है और मोहम्मद आमिर को इस जांच में फंसने से रोका जा सकता है अगर वो अगले दिन मैच के दौरान दो नो-बॉल फेंकें।

आमिर के मुताबिक प्रैक्टिस मैच के दौरान सलमान बट ने उन्हें नो-बॉल फेंकने का अभ्यास करने को भी कहा। आमिर के मुताबिक उन्होंने इसके बदले किसी से भी पैसों की मांग नहीं की हालांकि अगले दिन मज़हर माजिद ने उनके होटल के कमरे में आकर उन्हें कुछ पाउंड दिए।

इस साक्षात्कार में आमिर ने कहा है कि उन्हें अपनी करनी पर बेहद अफसोस है और उन्हें शर्म आती है कि उन्होंने क्रिकेट के साथ ऐसा किया। आमिर के मुताबिक उन्होंने पैसे के लिए नहीं बल्कि सलमान बट और मज़हर माजिद की ओर से अली के साथ हुई बातचीत को लेकर डराए जाने और दबाव बनाए जाने के चलते नो-बॉल फेंकी।

आमिर कहते हैं कि उन्हें वर्ल्ड ऑफ न्यूज़ के स्टिंग ऑपरेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और वो आज भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं कि उन्हें इस मामले में क्यों फंसाया गया। इस प्रकरण के बाद मोहम्मद आमिर पर पांच साल के लिए किसी भी तरह का क्रिकेट खेलने का प्रतिबंध लगा दिया गया है।

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