- संशोधन विधेयक को इसी शीतकालीन सत्र के दौरान मंडे तक सदन में पेश किए जाने की संभावना

>DEHRADUN: भले ही सरकार ने उत्तराखंड के व‌र्ल्डफेम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री समेत 51 मंदिरों के समूह के मैनेजमेंट संभालने की तैयारी कर ली हो, लेकिन इनसे जुड़े पुजारियों, तीर्थ पुरोहितों, पंडों एवं संबंधित हक हकूकधारियों के सदियों से चल आ रहे अधिकार व दस्तूर यथावत रहेंगे। फ्राइडे को कैबिनेट ने ये महत्वपूर्ण प्रावधान करते हुए चार धाम श्राइन प्रबंधन विधेयक के मसौदे में संशोधन पर मुहर लगा दी है। बताया जा रहा है कि उक्त संशोधनों के बाद विधेयक को इसी शीतकालीन सत्र के दौरान मंडे तक सदन में पेश किया जा सकता है।

बोर्ड के खिलाफ जारी है आंदोलन

विधानसभा का शीतकालीन सत्र जारी है। सत्र को देखते हुए सरकार की ओर से कैबिनेट में लिए गए फैसलों की ब्रीफिंग नहीं की जा सकती। लेकिन सूत्रों के अनुसार फ्राइडे को स्टेट कैबिनेट की बैठक में पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं पर निर्णय लिए गए। बीती 27 नवंबर को श्राइन बोर्ड के गठन के कैबिनेट के फैसले पर लगातार विरोध जारी है। पुजारी, पुरोहित व पंडा समाज आंदोलन पर उतारू हैं। सीएम से भी आंदोलनकारी अपना पक्ष रख चुके हैं। इधर, सूत्रों के अनुसार कैबिनेट ने श्राइन बोर्ड के विधेयक के मसौदे में संशोधन कर पुजारी, न्यासी, तीर्थ पुरोहितों, पंडे व संबंधित हक हकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित अधिकार के मामले यथावत रखने का प्रावधान शामिल करने को हरी झंडी दे दी है। हालांकि इनमें परिवर्तन का अधिकार बोर्ड के पास रहेगा। बोर्ड का उपाध्यक्ष संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग का मंत्री होगा। यदि वह ¨हदू नहीं है तो मुख्यमंत्री ¨हदू धर्म मानने वाले कैबिनेट के किसी सीनियर मंत्री को यह जिम्मा देंगे। लेकिन इसके लिए उक्त मंत्री बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्ति की पात्रता रखता हो। विधेयक के मसौदे में अन्य अहम संशोधन बोर्ड के सीईओ को लेकर किया गया। सीईओ ¨हदू धर्म का अनुयायी अखिल भारतीय सेवा के उच्च समयमान वेतनमान में कार्यरत अधिकारी होना चाहिए।

मंत्री खुद भरेंगे इनकम टैक्स

राज्य में अब मंत्री अपने इनकम टैक्स का खुद भुगतान करेंगे। कैबिनेट ने मंत्रियों के इनकम टैक्स भुगतान की व्यवस्था को खत्म करने के लिए विधेयक में संशोधन को हरी झंडी दे दी है। बाकायदा, संशोधन विधेयक को विधानसभा के इसी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने को भी मंजूरी दी है। यूपी के दौरान 1981 में तत्कालीन सीएम वीपी सिंह के समय सभी मंत्रियों का आयकर सरकार द्वारा चुकाए जाने की व्यवस्था आरंभ की गई थी। ये व्यवस्था गत 38 वर्षो से चली आ रही थी। मंत्री को तमाम मदों के तहत करीब साढ़े चार लाख रुपये प्रति माह वेतन व एलाउंसेस मिल रहे हैं।