ईडन गार्डेन्स के मैदान पर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ भारत ने टेस्ट क्रिकेट इतिहास की सबसे साहसिक जीत हासिल की थी. बीते रविवार तक वे इस मैदान में अपना आख़िरी टेस्ट मैच 1999 में हारे थे. इसके बावजूद उन्हें इंग्लैंड ने अपने ही गढ़ में धूल चटा दी.

गुरुवार से शुरु होने वाले नागपुर टेस्ट को जीतकर भारत शायद अपनी हालत सुधार ले. लेकिन क्रिकेट के नशे में चूर इस देश में कई लोग अब अपनी टीम पर उंगली उठा रहे हैं. मैच हारने के बाद टाइम्स ऑफ़ इंडिया की सुर्ख़ी थी – सफ़ाई का वक्त आ गया है.

नाराज फैन

इस अख़बार की आलोचना का शिकार देवता-तुल्य हो चुके खिलाड़ी थे. अख़बार चाहता है कि सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी जैसे खिलाड़ियों को टीम से बाहर निकाला जाए. साथ ही गौतम गंभीर और ज़हीर ख़ान को भी.

भारतीय चैनलों पर टीम की तीख़ी आलोचना हुई.चैनलों पर ‘सितारों को हटाओ भारत को बचाओ’ जैसी बहसें चल रही थीं. लेकिन 16 महीने पहले हालात बिल्कुल अलग थे. भारत इंग्लैंड में नंबर एक टेस्ट टीम के रुप में पहुंचा था. धोनी की कप्तानी में भारत ने 11 टेस्ट श्रृंखलाएं जीती थीं.

लेकिन उसके बाद से भारत ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से चार-शून्य से श्रृंखलाएं हारी हैं. राहुल द्रविड़ का कहना है कि लोगों का क्रोधित होना जायज़ है.

बीबीसी के कार्यक्रम टेस्ट मैच स्पेशल को द्रविड़ ने बताया, “बहुत से लोग हार से ज़्यादा हारने के तरीके से परेशान हैं. भारत ने तीन बार टॉस जीता. मुंबई में उन्हें मनपसंद पिच मिली. कोलकाता में भी अच्छी पिच थी लेकिन वो इसका फ़ायदा नहीं उठा पाए. ”

कोलकाता में हार के बाद चयनकर्ताओं ने युवराज और ज़हीर ख़ान के आख़िरी टेस्ट मैच की टीम में जगह नहीं दी है. उनकी जगह परविंदर अवाना और रविंद्र जडेजा को लिया गया है.

सीख

दोनों ने ही अब तक कोई टेस्ट मैच नहीं खेला है. जडेजा ने फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में तीन तिहरे शतक लगाए हैं लेकिन द्रविड़ मानते हैं कि घेरलू क्रिकेट टेस्ट मैच खेलने से बिल्कुल अलग है.

द्रविड़ ने कहा, “इंग्लैंड ने भारतीय क्रिकेट को आइना दिखाया है. अनके सामने खड़ी चुनौतियों के बारे में. हमें समझना होगा कि भारतीय टीम मुश्किल दौर में है. अच्छी टेक्नीक वाले युवा खिलाड़ियों को पहचानना और प्रोत्साहित करना सीखना होगा. ”

द्रविड़ को सबसे बड़ी चिंता भारतीय स्पिन अटैक है. टीम को अनिल कुंबले और हरभजन सिंह जैसे स्पिनर अब नहीं मिल रहे हैं. रविचंद्रन अश्विन और प्रज्ञान ओझा पर तो इंग्लैंड के मॉन्टी पनेसर और ग्रैम स्वॉन ही भारी पड़ रहे हैं.

द्रविड़ के अनुसार नागपुर टेस्ट में जो भी हो लेकिन भारत को अब इसी श्रृंखला से सीख लेनी चाहिए ताकि वो एक बार फिर नंबर एक की टेस्ट टीम बन पाए.



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