बसों में नही मिल रही कांवड़ रखने की सुविधा

बसों के सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर रखे जा रहे कांवड़

Meerut। शिवरात्रि की तिथि नजदीक आते ही शहर में कांवडि़यों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। हरिद्वार जाने वाली बसों में अधिकतर बाबा भोले के भक्त अपनी कांवड़ के साथ सफर पर जा रहे हैं। रोडवेज ने भी कांवडि़यों की सुविधा के लिए हरिद्वार के लिए बसों की संख्या बढ़ा दी है, बावजूद इसके भोलों का सफर रोडवेज बसों में असुविधाजनक हो रहा है। कांवडि़यों को रोडवेज बसों में अपनी कांवड़ रखने की जगह नहीं मिल रही है। ऐसे में बसों के सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर कांवड़ टांगी जा रही है।

नहीं है बसों में व्यवस्था

निगम बसों से गत वर्ष सामान रखने के कैरिज स्टैंड और पीछे का जाल हटा दिए गए थे जिसके कारण से कांवडि़यों को अपनी कांवड़ रखने की जगह बस के अंदर या बाहर नही मिल रही है। इसका असर यह है कि इस बार हरिद्वार जा रहे कांवडि़यों की संख्या गत वर्ष की तुलना में कुछ कम है। हालत यह है कि जिन बसों की छत पर कैरिज स्टैंड लगा है उनकी डिमांड हरिद्वार रूट पर की जा रही है लेकिन ऐसी बसों की संख्या अब काफी कम है इसलिए रोडवेज बसों को इस साल कांवडि़यों की कमी से नुकसान हो सकता है।

सुरक्षा में लापरवाही

हरिद्वार से कांवड़ के साथ जल लेकर आने वाले भोले भक्तों के लिए कांवड़ का विशेष महत्व होता है। पूरे सफर के दौरान कांवड़ का विशेष ध्यान रखा जाता है कि कहीं कांवड़ खंडित ना हो जाए। ऐसे में रोडवेज बसों में कांवडि़यों को बस में अपनी कांवड़ खंडित होने का डर है जिस कारण से कांवड़ को जुगाड़ कर बस की खिड़की के सहारे या बस के आगे बांध कर सफर किया जा रहा है। कांवड़ बस के फ्रंट शीशे के आगे बंधी होने के कारण रोडवेज बस की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है आगे बंधी कांवड़ खंडित ना हो जाए चालक इस बात से परेशान हैं। ऐसे में रोडवेज प्रबंधन भी इन कांवड़ों को अब सही जगह पर व्यवस्थित करने पर विचार कर रहा है।

आस्था का त्यौहार है इसलिए बसों के बाहर कांवड़ बांधने से किसी को रोका नही जा रहा है। लेकिन यह जरुर प्रयास है कि चालक को किसी प्रकार की परेशानी ना हो।

एसएल शर्मा, डिपो प्रभारी