Meerut : मंगलवार को भाजपा की सरकार ने रेल बजट पेश किया। उम्मीद थी बदलाव की, हसरतों के परवान चढ़ने की, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अरसे पुरानी मांगें भी सिरे से खारिज हो गयीं। बजट से पहले बड़े-बडे़ दावे करने वाले जनप्रतिनिधि के मुंह से जवाब नहीं निकल रहा है। व्यापारी, दैनिक यात्री, उद्यमी, आम यात्री आदि ने अनेक मांगें की थीं, हसरतें पाली थीं। आइए देखते हैं कौन सी थीं उम्मीदें और क्या हुआ उनका हश्र।

-मेरठ-सहारनपुर तक रेलवे लाइन का इलेक्ट्रीफिकेशन।

- मेरठ-दिल्ली के बीच एक्सप्रेस ट्रेन।

- मेरठ-दिल्ली शटल ट्रेन में डिब्बे बढ़ाए जाएं।

-मेरठ-हस्तिनापुर, पानीपत रेल लाइन बिछाई जाए।

- मेरठ-आगरा के लिए इंटरसिटी एक्सप्रेस।

- मेरठ-दिल्ली सेक्शन के स्टेशनों का विकास हो।

- यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए।

- मेरठ से चलने वाली किसी भी ट्रेन का नाम मेरठ-क्रांति रखा जाए।

- मेरठ से दिल्ली के लिए हर घंटे ट्रेन की सुविधा।

- सहारनपुर, देहरादून, अंबाला के लिए नई ट्रेनें व संचालन में तेजी।

- विद्युतीकरण का काम तेजी जल्द पूरा कर मेरठ-दिल्ली, मेरठ-सहारनपुर व मेरठ खुर्जा के लिए इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट ईएमयू का संचालन हो।

-मेरठ से दिल्ली के लिए ईएमयू का संचालन।

-मेरठ से दक्षिण एवं पूर्वी भारत के लिए लंबी दूरी की ट्रेन।

-स्टेशन पर सफाई और बैठने की पर्याप्त व्यवस्था हो।

-ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा बढ़ायी जाए।

-ट्रेन में गुंडागर्दी और चेन खींचने वालों पर सख्त कार्रवाई हो।

-यात्रियों से टीटीई और जीआरपी जवानों द्वारा की जाने वाली अवैध वसूली बंद हो।

उपरोक्त में से कोई भी मांग पूरी नहीं हुई। इससे दैनिक यात्रियों के साथ ही आम यात्री, उद्योगपति, व्यापारी आदि सभी में निराशा है।