- बारिश के चलते तापमान में गिरावट से बिगड़ सकता है मानसून

- अगर तापमान नहीं बढ़ा और न रुकी बारिश तो लेट होगा मानसून

- डेजर्ट एरिया और पहाड़ी इलाकों में तापमान में गिरावट से समस्या

Meerut: अप्रैल में लगातार बारिश और तापमान में गिरावट से आप भले राहत महसूस कर रहे हों, लेकिन ये बड़ी आफत के संकेत हैं। जहां मानसून जून में आता है वहीं इसको पीछे खिसकने का अंदाजा लगाया जा रहा है। मौसम विभाग के वैज्ञानिकों की मानें तो मौसम में बदलाव जरूरी है। अप्रैल के अंत और मई में तापमान काफी अधिक होता है, लेकिन इस बार हो रही बारिश और गिरे तापमान के चलते मानसून की स्थिति खराब लग रही है। जिससे कई समस्याएं उत्पन्न होंगी और मौसम में बदलाव होगा।

मानसून की दशा

भारत में मानसून का बड़ा ही बेसब्री के साथ इंतजार होता है। मानसून जून और अक्टूबर के मध्य में आता है। जिससे मौसम में बदलाव आता है। किसानों के लिए अच्छा माना जाता है और डॉक्टर्स के लिए भी सही माना जाता है। इस बार समय से पहले बारिश अधिक हुई। साथ ही तापमान भी बढ़ने के बजाय गिरता रहा। जिससे आने वाले समय में मानसून एक्चुअल समय से आगे खिसक सकता है।

यह है स्थिति

आईएमडी (इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट) की रिपोर्ट के अनुसार एक मार्च से ख्9 अप्रैल ख्0क्भ् तक बारिश को देखें तो वेस्ट यूपी में 87.8 एमएम बारिश हुई। जो नॉर्मल से काफी अधिक है। जबकि इस दौरान क्भ्.7 नॉर्मल बारिश दर्ज की गई। वैज्ञानिकों की मानें तो इस दौरान टेम्परेचर फ्भ् से ऊपर होना चाहिए था, लेकिन लगातार बारिश के कारण टेम्परेचर बढ़ने के बजाय गिरता रहा। जिसके चलते मानसून पीछे खिसकना तय है। लेह लद्दाख, जे एंड के सहित पहाड़ी इलाकों में भी तापमान बढ़ा नहीं है। जिसके चलते मानसूनी दिक्कतें आनी तय हैं।

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फसलों को सबसे अधिक नुकसान

वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून अगर समय से नहीं आता तो किसानों के लिए दिक्कतें बढ़ जाती हैं। इस दौरान ऐसी फसल बोई जाती हैं जिसको पानी की अधिक आवश्यकता होती है। अगर बारिश ही नहीं होगी तो सूखा होगा और फसल बर्बाद हो जाएगी। पैदावार घटने के साथ ही भुखमरी जैसे हालात हो जाते हैं। डेजर्ट एरिया में तो मानसून का पूरे साल इंतजार किया जाता है। जिसमें गड़बड़ होते ही मानों वहां के लोगों के हाथ पांव फूल जाते हैं। यही पहाड़ी इलाकों का भी हाल होता है। जहां कृषि पूर्ण रूप से मानसून पर ही आधारित होती है। बारिश होगी तो पानी मिलेगा नहीं तो फसल सूख जाएगी।

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कब आता है मानसून

भारत में जिन सागरीय पवनों के माध्यम से वर्षा होती है, उन्हें मानसूनी पवन कहते हैं। भारत में दो तरह का मानसून आता है।

- ग्रीष्म कालीन /दक्षिण पश्चिमी मानसून। यह जून से मध्य अक्टूबर तक आता है।

- शीत कालीन / उत्तर पूर्वी मानसून। यह नवम्बर से जनवरी तक आता है।

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जिस तरह बारिश हो रही है और तापमान कम हो रहा है। इससे मानसून पर बड़ा असर पड़ने वाला है। जिससे मानसून के देरी से आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। लेह, जम्मू व पहाड़ी इलाकों के साथ डेजर्ट एरिया में तापमान बढ़ जाना चाहिए था। लेकिन अभी तक वहां तापमान समय के अनुसार काफी कम है। जिससे मानसून की स्थिति पर असर पड़ेगा।

- डॉ। कंचन सिंह

कोर्डिनेटर भूगोल विभाग व भूगोल विशेषज्ञ, सीसीएस यूनिवर्सिटी

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