'नेक्सावर' नाम के 120 गोलियां के पैकेट की फिलहाल बाजार में कीमत 2.84 लाख रुपए है। मूल दवा की तुलना में भारत में इस दवा की कीमत काफी कम होगी। इतनी गोलियां एक महीने की खुराक होती हैं।

यह संभव हो पाया है क्योंकि भारत ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए पेटेंट अधिनियम के तहत अनिवार्य लाइसेंसिंग (सीएल) के प्रावधानों को लागू किया है। इन प्रावधानों के तहत हैदराबाद की नैटको फार्मा को जर्मनी की कंपनी बेयर की पेटेंट संरक्षित कैंसर की दवा 'नेक्सावर' के जेनरिक वर्जन को भारत में बेचने के लिए मंजूरी दे दी है।

आवेदन किया था

बौद्धिक संपदाओं की निगरानी करने वाली संस्था भारत संपदा विभाग ने सोमवार को नैटको के आवेदन को मंजूरी दी। नैटको ने आवेदन किया था कि उसे गुर्दे और लिवर के कैसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा की जेनरिक दवा बेचने की इजाजत दी जाए।

इससे उन लोगों को काफी राहत मिलेगी जो इतनी महंगी दवा नहीं खरीद पाते। इस फैसले से जिंदगी बचाने वाली कुछ और बीमारियों की दवाओं के सस्ते होने के रास्ते भी खुल सकते हैं।

जहां देश की दवा बनाने वाली कंपनियों को इससे काफी फायदा होगा वहीं ऐसा माना जाता है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इस फैसले से एतराज हो सकता है।

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