-मेन बिल्डिंग के लोन में ऑस्ट्रेलियन स्पेशीज का वर्षो पुराना पेड़ तोड़ रहा दम

-बॉलीवुड की बिग बजट की दो फिल्मों में बड़े पर्दे पर नजर आ चुका है ये पेड़

-एफआरआई के साइंटिस्ट जुटे हुए हैं फॉरेन स्पेशीज के पेड़ को बचाने में

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DEHRADUN : देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक एफआरआई (फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूटट) में फिल्मों की शूटिंग से यहां मौजूद बेशकीमती पेड़ कैंसर की चपेट में है. अज्ञात बीमारी की चपेट में आया यह पेड़ विदेशी स्पेशीज है और दशकों पुराना है. हालांकि एफआरआई के साइंटिस्ट इस पेड को बचाने की जुगत में लगे हुए हैं. बताया जा रहा है कि विदेशी स्पेशीज के कुछ अन्य पेड़ भी बीमारी की चपेट में आ गये हैं.

तिल-तिल मर रहा ये पेड़
सेफलेरा एक्टीनोफिलमा यह इस स्पेशीज का बॉटेनीकल नेम है. ये स्पेशील ऑस्ट्रिेलियन है, जो आस्ट्रेलिया के क्वीन लैंड में पाई जाती है. साइंटिस्ट इसे ऑर्नामेंटल बता रहे हैं. इस स्पेशीज का शानदार पेड़ आपको एफआरआई की बड़ी बिल्डिंग के लोन में नजर आया होगा. लेकिन, विदेशी स्पेशीज का यह अब पेड़ अब आखिरी सांसें गिन रहा है. तपिश भरी गर्मी में ठंडी छाया देने वाला यह पेड़ पूरी तरह झुलस गया है. आखिर इस पेड़ को कौन सी बीमारी लग गई, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है. एफआरआई के तमाम साइंटिस्ट इस बेशकीमती पेड़ को बचाने की जुगत में लगे हुए हैं. पेड़ के चारों ओर गोबर की ऑर्गेनिक कंपोस्ट खाद व पानी का दिया जा रहा है. जमीन को नम बनाने के खोदा गया है. लेकिन फिलहाल इस कवायद का असर भी नहीं दिख रहा है.

फिल्मी टी-स्टॉल तो नहीं वजह
यह वही पेड़ है, जिसकी पहचान बड़े बैनर की दो फिल्मों में चाय के स्टॉल की रही है. हाल के वर्षो में एफआरआई में बॉलीवुड की दो फिल्मों की शूटिंग हुई थी. शूटिंग के दौरान पेड़ के चारों को ओर बैंच (बैठने का चबूतरा) बनाया गया था. कुछ लोगों का मानना है कि इस दौरान पेड़ को प्रॉपर तरीके से हवा पानी नहीं मिल पाया, जिस कारण पेड़ की यह हालत हुई है. पेड़ की बीमारी की खबर फैलते ही वैज्ञानिक इस बचाने के प्रयास में जुट गये हैं.

साइंटिस्ट बता रहे स्वॉयल कंपेक्शन
एफआरआई के साइंटिस्ट पेड़ की बीमारी को लेकर स्पष्ट राय नहीं बना पा रहे हैं, बल्कि डिपार्टमेंट एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते नजर आ रहे हैं. प्रभारी रजिस्ट्रार ने सिल्वीकल्चर डिपार्टमेंट के पास जानकारी हो की बात कही, जबकि सिल्वीकल्चर डिपार्टमेंट ने बॉटेनी डिविजन और बॉटेनी डिविजन ने पैथोलॉजी डिविजन का हवाला दिया. बॉटनी डिविजन ने 'स्वॉयल कंपेक्शन' की बात कही, जिसका मतलब है पेड़ की जड़ों को फैलाव के लिए जगह न मिलना.

दशकों पहले हुआ सीड था एक्सचेंज
साइंटिस्ट्स के अुनसार 30 के दशक में एफआरआई में सीड एक्सचेंज हुआ था. इस दौरान बड़े स्तर पर फॉरेन स्पेशीज के प्लांट्स का प्लांटेशन किया गया. इनमें कई फॉरेन स्पेशीज के पेड़ अब तक एफआरआई में मौजूद हैं. साइंटिस्ट की मानें तो कैंपस में करीब 400 स्पेशीज मौजूद हैं. जिनमें कई दूसरे देशों में पाए जाने वाले भी शामिल हैं.

पेड़ को बचाने के लिए एफवाईएम यानि गोबर की खाद का सहारा लिया जा रहा है. जड़ों के चारों ओर खोदकर गोबर खाद व पर्याप्त मा˜ा में पानी दिया जा रहा है. जिससे नमी बनी रहे.
-डा. अमित पांडे, साइंटिस्ट, पैथोलॉजी डिविजन

यह पेड़ आस्ट्रिेलियन क्वींन लैंड की स्पेशीज का ऑर्नामेंटल पेड़ है. फिलहाल एफआरआई कैंपस में इस स्पेशीज का ये अकेला पेड़ है. कितना पुराना है, जानकारी नहीं है, लेकिन पैथोलॉजी डिपार्टमेंट इसका ट्रीटमेंट देख रहा है.
-डा. अनूप चंदा, एचओडी, बॉटनी डिविजन.