नाटकीय अंदाज में

जैसे कैंट बोर्ड की टीम पहुंची तो घर के बाहर ताला लगा हुआ था। पूरी टीम असमंजस में पड़ी थी कि इसे कैसे डिमोलिश किया जाएगा। डिमोलिशन टीम के साथ गए एई पीयूष गौतम ने अपने कर्मचारी को क्रेन से ऊपर चढ़कर टॉवर पर हथौड़ा मारने को कहा। इतना कहने की देर थी  कि दूसरी और मकान के मालिक दौड़े हुए बाहर को आ गए। जिसके बाद कैंट बोर्ड ने बड़े ही आराम से अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया।

अभी और भी हैं अवैध टॉवर

कैंट में अवैध टॉवर्स को गिनने के लिए बैठेंगे तो कोई कमी नहीं मिलेगी। अवैध टॉवर्स की लिस्ट में कुछ बोर्ड मेंबर्स का नाम भी शामिल है। जहां बोर्ड उपाध्यक्ष के घर में टॉवर लगा हुआ हैं। वहीं वार्ड-5 मेंबर के घर में 5 टॉवर लगे हुए हैं। वहीं वार्ड-1 के मेंबर के यहां भी टॉवर की लगा है। वहीं अन्य 4 टॉवर भी लगे हुए हैं। इनमें अधिकतर कोर्ट केस में फंसे हुए हैं।

कैसे मिलती परमीशन?

कैंट बोर्ड के अधिकारियों की माने तो किसी भी प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर को पहले बीएसएनएल के पास आवेदन करना होगा। जिसका आवेदन दूरसंचार मंत्रालय को भेजा जाता है। जिसके बाद परमीशन मिलने के बाद बीएसएनएल के अंडर में टॉवर लगाया जा सकता है। जिसके रेडिएशन से लेकर तमाम चीजें बीएसएनएल ही डिसाइड करता है।

'टॉवर पर पीपी एक्ट चल रहा था। जिसमें पूरी सुनवाई सुनने के बाद ही निर्णय लिया गया था। आगे भी तमाम अवैध टॉवर्स पर एक्शन लिया जाएगा.'

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड