टेस्ट मैच में कहाँ तो एक दिन में कुछ ही विकेट गिर पाते हैं मगर वहाँ एक ही दिन में 23 विकेट गिर गए। पिछले 100 साल में टेस्ट क्रिकेट में इतने विकेट एक दिन में कभी नहीं गिरे थे।

ऑस्ट्रेलियाई टीम ने पहली पारी के 284 रनों के जवाब में जब दक्षिण अफ़्रीका को महज़ 96 रनों पर समेटा तो उसके पास 188 रनों की लीड थी और लगा कि ऑस्ट्रेलिया मैच पर पकड़ अब और मज़बूत कर लेगा।

मगर उसके बाद जो हुआ वो टेस्ट क्रिकेट में पिछले 100 साल में नहीं हुआ था। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों ने जैसे 'तू चल मैं आता हूँ' गाना शुरू कर दिया।

एक समय तो सिर्फ़ 21 रनों पर ऑस्ट्रेलिया के नौ विकेट गिर चुके थे और लगा कि वह 1955 में बना न्यूज़ीलैंड का 26 रनों का सबसे कम टेस्ट स्कोर का रिकॉर्ड भी तोड़ देगा।

मगर उसके बाद अंतिम विकेट ने मिलकर पूरी टीम से ज़्यादा रन बना डाले। इस तरह 47 रनों का ये स्कोर 1902 में इंग्लैंड के विरुद्ध उसके 36 रनों के स्कोर से 11 रन ज़्यादा रहा। यानी पहली पारी में जो 188 रनों की बढ़त मिली वो कुल मिलाकर 235 रनों का ही लक्ष्य दे पाई।

दूसरे दिन का खेल समाप्त होने तक बाज़ी पलट चुकी थी। दक्षिण अफ़्रीका ने एक विकेट खोकर 81 रन बना लिए थे और अगर वह सँभलकर खेले तो उसके लिए ये एक यादगार जीत हो जाएगी।

ऐसा कम ही होता है कि एक ही दिन में टेस्ट मैच में चार पारियाँ खेली जाएँ मगर केपटाउन के न्यूलैंड्स पार्क में वो भी हुआ। पहले ऑस्ट्रेलियाई पारी समाप्त हुई फिर पूरी दक्षिण अफ़्रीकी पारी, पूरी ऑस्ट्रेलियाई पारी और उसके बाद दक्षिण अफ़्रीका की दूसरी पारी फिर शुरू हुई।

इस पारी का जवाब ऑस्ट्रेलिया के किसी खिलाड़ी के पास नहीं है और कप्तान माइकल क्लार्क ने इसे शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा, "शीर्ष सात खिलाड़ियों को इसकी ज़िम्मेदारी लेनी होगी। हमने जो शॉट खेले वे शर्मनाक थे, 47 रनों पर पारी सिमट जाने का कोई बहाना नहीं हो सकता, हम अपनी क्षमता के अनुरूप नहीं खेले."

क्लार्क़ ख़ुद करियर का ये दिन भुला देना चाहेंगे। उनका कहना था, "इससे पहले मेरे करियर में ऐसा दिन कभी नहीं आया और उम्मीद है कि कभी आएगा भी नहीं."

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