डॉ. अनुराधा समेत कंपाउडर और दवा सप्लायर को सीबीआई ने हिरासत में लिया

Meerut. पिछले दस साल से अधिक समय से जांच तक सीमित कैंट हॉस्पिटल के दवा घोटाले आखिरकार शनिवार को सीबीआई टीम ने अचानक मेरठ पहुंचकर पुख्ता सबूतों के आधार पर कैंट हॉस्पिटल की आरएमओ अनुराधा पाठक समेत कंपाउडर और दवा सप्लायर को हिरासत में ले लिया. सीबीआई टीम कैंट बोर्ड कार्यालय में पूछताछ के बाद तीनों को अपने साथ गाजियाबाद ले गई. इस दौरान इस घोटाले के चौथे संदिग्ध कैंट बोर्ड प्रवक्ता एम जाफर सीबीआई के आने से पहले ही कार्यालय से चले गए. सूत्रों की मानें तो एम जाफर भी सीबीआई की लिस्ट में शामिल थे.

दस साल का सफर

पिछले दस साल से कैंट अस्पताल का दवा घोटाले शहर की सुर्खियों में रहा है. साल 2008 में दवा घोटाला पकड़ा गया था. यह प्रकरण उस समय प्रकाश में आया जब कैंट बोर्ड भंग था. तत्कालीन सीईओ आईएस माही जनरल अस्पताल की फाइलों की जांच करते हुए करीब 42 लाख से अधिक की दवाइयों की फर्जी पर्चियां पकड़ी थी. इन पर्चियों पर तत्कालीन आरएमओ अनुराधा गुप्ता के साइन थे. सभी दवाएं बाबा मेडिकल स्टोर से मंगाई गई थी.

8 साल की जांच

2010 में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. तब से अभी तक इस प्रकरण की जांच चल रही है. इस दौरान डॉ. अनुराधा को सस्पेंड करने के बाद एक फिर बहाल कर दिया गया. सूत्रों की मानें तो अब सीबीआई ने शनिवार को पुख्ता सबूतों के आधार डॉ. अनुराधा पाठक, कंपाउडर सुशील और दवा सप्लायर रोहित कौशल को हिरासत में लिया. बोर्ड प्रवक्ता एम जाफर टीम की सूचना मिलते ही फरार हो गए.

भ्रष्टाचार के अन्य मामले

2016 में कैंट बोर्ड के सफाई निरीक्षक योगेश यादव को सीबीआई ने दस लाख की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था.

1994 में स्टोर कीपर लाखों के दवा घोटाले में टर्मिनेट हो चुका है.

1974 में कैंट बोर्ड कर्मचारियों को 300 रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था.