- यूपीपीएससी भर्ती घोटाला और गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की होनी है सीबीआई जांच

- सीबीआई ने अब तक नहीं दर्ज किया केस, योगी सरकार ने की थी सिफारिश

- यूपी के तमाम बड़े मामलों की जांच में उलझी सीबीआई के पास मैन पावर नहीं

LUCKNOW :

योगी सरकार ने सूबे के जिन दो बड़े घोटालों की जांच सीबीआई से कराने का जोर-शोर से एलान किया था, वे नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय में ठंडे बस्ते में डाल दिए गये हैं। सीबीआई ने अब तक दोनों घोटालों की जांच शुरू करने के लिए औपचारिकता पूरी नहीं की है। मामला गोमती रिवरफ्रंट घोटाला और यूपी पीएससी भर्ती घोटाले से जुड़ा है जिसकी सीबीआई जांच कराने की संस्तुति योगी सरकार ने की थी। सीबीआई के प्रवक्ता ने फिलहाल दोनों मामलों का केस दर्ज न होने की पुष्टि की है।

सदन में किया था एलान

ध्यान रहे कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण में गड़बडि़यों की जांच सीबीआई से कराने का एलान किया था। इस बाबत सिंचाई विभाग के आठ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। गृह विभाग ने विगत 21 जुलाई को केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को सीबीआई जांच की सिफारिश का पत्र भेजा था। करीब दो माह बीतने के बाद भी सीबीआई ने इस मामले की जांच अपने हाथ में नहीं ली है। इसी तरह बीते 19 जुलाई को विधानसभा सत्र के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी पीएससी भर्ती घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का एलान किया था। विगत दो अगस्त को गृह विभाग ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश का पत्र कार्मिक मंत्रालय को भेज दिया लेकिन, इस पर भी अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।

जांचों का बढ़ रहा बोझ

दरअसल सीबीआई पर यूपी की तमाम जांचों का खासा दबाव है। मनरेगा घोटाला, खाद्यान्न घोटाला, एनआरएचएम घोटाला, खनन घोटाला की जांच में सीबीआई की खासी मैनपावर का इस्तेमाल हो रहा है। इनमें कई केस दर्ज होने की वजह से सीबीआई के ज्यादातर विवेचक जांच और अदालत के चक्कर काटने में उलझे हैं। चुनाव के दौरान हुए श्रवण साहू हत्याकांड की जांच भी सीबीआई ने शुरू कर दी तो सचल पालना गृह घोटाला और दिल्ली-सहारनपुर हाईवे के निर्माण में हुए घोटाले की जांच जारी है। यही वजह है कि अवैध खनन घोटाला और आईएएस अनुराग तिवारी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले की जांच सीबीआई मुख्यालय की स्पेशल क्राइम यूनिटों को सौंपनी पड़ी।

कई मामलों की जांच बाकी

इतना ही नहीं, अभी कुछ ऐसे मामले भी बाकी हैं जिनकी सीबीआई जांच की सिफारिश जल्द हो सकती है। इनमें बहुचर्चित चीनी मिल बिक्री घोटाला शामिल है जिसकी सीबीआई जांच की सिफारिश न्याय विभाग द्वारा की जा चुकी है। इसी तरह पूर्व एमएलसी (अब भाजपा में) बुक्कल नवाब द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों रुपये का मुआवजा हासिल करने के मामले की जांच भी सीबीआई से कराने पर शासन में सहमति बन गयी थी। वहीं योगी सरकार के निशाने पर जल निगम में हुई नियुक्तियां भी हैं जिनकी सीबीआई से जांच कराए जाने की संभावना जताई जा रही है।