- जस्टिस शुक्ला व रिटायर्ड जस्टिस आईएम कुद्दूसी समेत छह के खिलाफ सीबीआई दिल्ली ने दर्ज किया केस

- एक मेडिकल कॉलेज का पक्ष लेने का आरोप

- लखनऊ में चार व मेरठ में एक आरोपी के ठिकाने पर की गई लंबी छानबीन

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रुष्टयहृह्रङ्ख : सीबीआई दिल्ली ने भ्रष्टाचार के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच ने एक मेडिकल कॉलेज को अनुचित लाभ पहुंचाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज एसएन शुक्ला व उड़ीसा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज आईएम कुद्दूसी समेत छह नामजद आरोपियों, प्रसाद एजूकेशन ट्रस्ट व अन्य के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद शुक्रवार को लखनऊ व मेरठ में पांच स्थानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। सीबीआई ने इसी मामले में दिल्ली में भी कुछ स्थानों पर छापा मारा। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने चार माह पूर्व सीबीआई को जज एसएन शुक्ला के खिलाफ रेगुलर केस दर्ज किए जाने की अनुमति दी थी। जज एसएन शुक्ला पर लखनऊ स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पक्ष में निर्णय देने के लिए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे।

दर्ज की एफआईआर

सीबीआई दिल्ली ने जज एसएन शुक्ला, रिटायर जज आईएम कुद्दूसी, दिल्ली निवासी भावना पांडेय, गोमतीनगर निवासी भगवान प्रसाद यादव, एल्डिको ग्रीन निवासी पलाश यादव, मेरठ निवासी सुधीर गिरि, प्रसाद एजूकेशन ट्रस्ट व अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व आपराधिक षड्यंत्र की धारा के तहत एफआईआर दर्ज किया है। सीबीआई ने एसएन शुक्ला के वृंदावन कालोनी, रायबरेली रोड स्थित आवास, रिटायर जज आईएम कुद्दूसी के लारेंस टैरिस स्थित आवास के अलावा आरोपी प्रसाद एजूकेशन ट्रस्ट के संचालक भगवान प्रसाद यादव के गोमतीनगर व पलाश यादव के एल्डिको ग्रीन स्थित घर पर छापा मारा। मेरठ में सुधीर गिरि के घर पर भी छापा मारकर लंबी छानबीन की। सीबीआई ने छापों के दौरान संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए हैं।

यह था मामला

केंद्र सरकार ने मई 2017 में लखनऊ के बंथरा क्षेत्र स्थित प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में मानक स्तर की सुविधाएं न होने तथा जरूरी मापदंड पूरे न करने के चलते छात्रों को दाखिला देने पर रोक लगा दी थी। 46 अन्य मेडिकल कॉलेजों पर भी इसी आधार पर छात्रों को दाखिला देने पर प्रतिबंध लगाया गया था। बताया गया कि ट्रस्ट ने केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की थी। आरोप है कि सीबीआई के केस में नामजद आरोपियों ने साजिश के तहत सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिट याचिका को वापस ले लिया था। इसके बाद 24 अगस्त 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में एक अन्य याचिका दायर की गई। सीबीआई की एफआईआर में आरोप है कि न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला की भागीदारी वाली खंडपीठ ने 25 अगस्त 2017 को याचिका पर सुनवाई की और उसी दिन ट्रस्ट के पक्ष में आदेश दे दिया था। पक्ष में फैसला देने के लिए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। पक्ष में फैसला आने के बाद मेडिकल कॉलेज में छात्रों का दाखिला कर लिया गया था। इस मामलें में सीबीआई ने कोर्ट के आदेश पर प्रारंभिक जांच की थी।