सुराग यूपी एसटीएफ ने लगाया
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लखनऊ। इसके अलावा हमीरपुर में तैनात जिला प्रशासन के अज्ञात अफसरों की भूमिका का जिक्र करते हुए उन्हें आरोपितों में शामिल किया गया है। खास बात यह है कि इस मामले का सुराग यूपी एसटीएफ ने लगाया था। मामला रक्षा मंत्रालय से जुड़ा होने की वजह से इसे सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया। दरअसल भर्तियों के दौरान एसटीएफ कुछ दलालों के फोन नंबर सर्विलांस पर सुन रही थी जिसमें सेना का एक अधिकारी फर्जी दस्तावेजों पर भर्तियां कराने के लिए रिश्वत की मांग कर रहा था।
कानपुर में हुई थी भर्तियां
दरअसल तीन अगस्त 2016 से 16 अगस्त 2016 के बीच लखनऊ सेंट्रल कमांड के अधीन कानपुर कैंटोनमेंट में सेना भर्ती रैली का आयोजन किया गया था। सेना के नियमों के मुताबिक कानपुर जोन में आने वाले जिलों औरैया, बाराबंकी, कन्नौज, गोण्डा, बांदा, हमीरपुर और फतेहपुर में रहने वाले लोग ही इसमें शामिल हो सकते थे। यही से फर्जीवाड़े की शुरुआत हुई और पश्चिमी उप्र के रहने वाले तमाम युवकों ने सेना भर्ती में सेंध लगाने वाले दलालों से संपर्क किया और भर्ती होने के लिए 34 युवकों ने खुद को हमीरपुर जिले का निवासी बताने वाला एसडीएम कार्यालय से फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवा लिया। जब सेना ने उनके निवास प्रमाण पत्र को राजस्व विभाग की सरकारी वेबसाइट से वेरीफाई किया तो वह सही पाए गये। इसके बाद इनमें से 30 युवक सेना में भर्ती होकर ट्रेनिंग भी करने लगे जबकि चार किन्हीं कारणों से इसमें शामिल नहीं हो सके।
एसटीएफ सुन रही थी बातचीत
यूपी में होने वाली भर्तियों में सक्रिय दलालों पर नजर रखने वाली एसटीएफ सेना भर्ती की पड़ताल को इस दौरान सेना भर्ती में हो रहे फर्जीवाड़े के सुराग लगे तो इसकी गोपनीय जांच शुरू कर दी गयी। एसटीएफ ने दलाल प्रवीन कुमार तोमर और योगेंद्र कुमार के साथ सेना के अधिकारी गिरीश एनएच हवलदार के बीच हो रही बातचीत को सुनना शुरू कर दिया। इसमें वह अभ्यर्थियों से पैसा लेने और डिस्पैच ऑर्डर जारी करने का दावा कर रहा था। सेना से जुड़े इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एसटीएफ ने इसे सीबीआई के सुपुर्द कर दिया जिसके बाद 12 दिसंबर 2017 को सीबीआई की लखनऊ स्थित स्पेशल क्राइम ब्रांच ने सेना भर्ती मुख्यालय के अज्ञात अफसरों के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू कर दी। एसटीएफ ने सीबीआई को हवलदार और दलालों के बीच की टेप की गयी फोन रिकॉर्डिंग भी सौंप दी थी।
एसडीएम कार्यालय ने बताया फर्जी
जांच में यह भी सामने आया कि सेना के डायरेक्टर, रिक्रूटिंग ने तीन फरवरी 2017 को हमीरपुर की तहसील हमीरपुर के एसडीएम को निवास प्रमाण पत्रों की जांच का एक पत्र भेजा था। इसके जवाब में एसडीएम कार्यालय ने इन्हें फर्जी करार देते हुए बताया कि इनमें से कोई भी इन पतों पर नहीं रहता है। इसके बावजूद इस फर्जीवाड़े की जांच शुरू नहीं हुई। मामला सीबीआई के पास आने के बाद हमीरपुर में तैनात नायब तहसीलदार विजय प्रताप सिंह, राजस्व अधिकारी जयकरन सचान, सहायक राजस्व अधिकारी बृजकिशोर, लेखपाल मोतीलाल से सीबीआई ने गहन पूछताछ भी की थी। इस दौरान उन्होंने जारी किए गये निवास प्रमाण पत्रों को फर्जी और बोगस करार दे डाला।
राजस्व परिषद से मांगा यूजर आईडी
जांच के दौरान राजस्व परिषद के कमिश्नर और सेक्रेटरी से वह यूजर आईडी और लॉग इन मांगा गया जिससे 31 निवास प्रमाण पत्र वेबसाइट पर अपलोड किए गये थे हालांकि इसके जवाब में केवल इतना बताया गया कि केवल 29 प्रमाण पत्र ही डाटा बेस में उपलब्ध है। वही डीआईओएस और प्रिंसिपल की पड़ताल में भी साबित हो गया कि ये अभ्यर्थी हमीरपुर के बजाय दूसरे जिलों के रहने वाले है।
इन पदों पर हुए भर्ती
सैनिक- तकनीकी, जनरल ड्यूटी, सेंट्री ड्यूटी, क्लरिकल ड्यूटी, मेडिकल ड्यूटी।
इन धाराओं में केस दर्ज
120-बी, 420, 467, 468, 471 आईपीसी के अलावा 13(2), 13(1)(डी) पीसी एक्ट व सेक्शन 66 आईटी एक्ट।
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