इतने बढ़ गए दाम

-10 से 15 फीसदी तक बढ़ गया एक किताब का रेट

-25 से 50 रुपए आता है एनसीआरटी की एक किताब का खर्च

-25 से 30 फीसदी तक महंगा हो गया बुक सेट

-एनसीआरटी की जगह प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक लिस्ट में कर रहे शामिल

-हर साल बदल जाता है सिलेबस ताकि पुरानी बुक्स कोई न कर सके यूज

बरेली : शहर में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली का मुद्दा अभी सॉल्व नहीं हो पाया हैं. वहीं नया सेशन शुरू होते ही पेरेंट्स बढ़े हुए रेट के साथ बुक्स खरीदने को मजबूर हैं. प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करने से निजी स्कूलों के संचालकों के हौसले बुलंद हैं. पेरेंट्स को निजी स्कूलों द्वारा रिजल्ट के साथ ही किताबों की लिस्ट भी सौंप दी गई है. पेरेंट्स जब किताब खरीदने बुक स्टॉल पर गए तो उनके होश उड़ गए क्योंकि किताबों के रेट आसमान छू रहे थे. साथ ही एनसीआरटी की किताबों की जगह प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक सेट में लगाई गई हैं. वहीं स्कूलों में बोर्ड भले ही सिलेबस न बदले, लेकिन स्कूल हर विषय की किताब में हर बार कुछ न कुछ परिवर्तन कर नई किताब लागू कर देते हैं. इसलिए बच्चे को हर साल पूरी किताबें नई खरीदनी पड़ती हैं।

लिस्ट में दे रहे बुक स्टॉल का नाम

निजी स्कूलों ने पेरेंट्स को रिजल्ट के साथ ही एक नोटिस भी दी है, जिसमें लिखा है कि नया सेशन शुरू होने पर नई बुक्स के साथ बच्चों को भेजना है. साथ ही उसमें बुक स्टॉल का नाम भी दिया है, जहां से उन्हें किताबें खरीदनी है. वैसे तो उसमें यह भी लिखा है कि पेरेंट्स कहीं से भी किताब खरीदने के लिए फ्री हैं, लेकिन प्राइवेट पब्लिर्स की किताबें लिखी होने से किताबे सिर्फ उसी बुक स्टॉल में मिलती है, जहां का वह नाम लिखकर देते हैं.

25 से 30 फीसदी तक बढ़े रेट

जो बुक सेट लास्ट ईयर 3 हजार से 35 सौ का मिलता था. इस बार वही सेट 4 हजार से 5 हजार का मिल रहा है. निजी प्रकाशकों की किताबों के दाम भी 20 फीसद तक बढ़ गए हैं। साथ ही जो कॉपी नॉर्मली 10 से 15 रुपए की मिलती है. वह कॉपी बुक स्टॉल पर पर कॉपी के कवर का स्कूल का नाम प्रिंट कर 25 रुपए की देते हैं. दुकानदारों का कहना है 10 से 15 फीसदी तक किताबों के दाम बढ़े हैं।

कमीशन का है पूरा खेल

निजी स्कूल कमीशन के चक्कर में यह सारा खेल करते हैं. एनसीईआरटी की ही किताबें सभी स्कूलों में पढ़ाया जाना अनिवार्य है. वह बाहर बुक स्टॉल से कमीशन सेट कर प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक्स लगा देते हैं. निजी स्कूल्स एनसीआरटी की बुक्स नहीं लगाते हैं क्योंकि एनसीआरटी की किताबों के रेट कम होते हैं और वह आसानी से सभी जगह मिल जाती है. एनसीईआरटी की एक किताब पर 25 से 50 रुपये तक का खर्च आता है, लेकिन इसके बावजूद प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक्स लगाई जा रही हैं.

यह हैं इस साल किताबों के बढे़ हुए रेट

क्लास रेट

एनसी 2500 से 3000 रुपए

फ‌र्स्ट 3000 से 3500 रुपए

सेकंड 4000 से 4500 रुपए

थर्ड 4000 से 5000 रुपए

फोर्थ 4500 से 5500 रुपए

फिफ्थ 5000 से 5500 रुपए

मेरा बच्चा क्लास फोर्थ में है और उसकी बुक्स करीब पांच हजार रुपए की आई है. स्कूल की फीस अलग से है. साथ में हर बार बच्चों की यूनिफार्म भी नई चाहिए होती है.

प्रेमा, पेरेंट

स्कूलों की बुक्स इस बार इतनी मंहगी हो चुकी हैं कि खरीदना संभव नहीं है. इस बार बुक्स तो खरीदेंगे, लेकिन सिर्फ वहीं बुक्स खरीदेंगे जो काम की होंगी.

संजीव सक्सेना, पेरेंट

मेरा बच्चा क्लास फिफ्थ क्लास में है और उसकी किताबें पांच हजार रुपए की आई हैं. स्कूल वाले आगे भी इसी तरह से किसी न किसी बहाने से रुपए ऐंठते रहते हैं.

नीलम

वो तो स्कूल के ऊपर ही डिपेंड करता है कि उसने कौन सी किताबें लगाई हैं. वैसे एनसीआरटी की बुक्स जल्दी उपलब्ध नहीं हो पाती है. इसलिए कहीं न कहीं स्कूलों को निजी पब्लिकेशन की बुक्स लगानी पड़ती है.

दीपक अग्रवाल, सीबीएसई को- ऑर्डिनेटर