10वीं के स्टूडेंट को दोबारा पेपर नहीं देना पड़ेगा
नई दिल्ली (प्रेट्र)। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पेपर लीक मामले में 10वीं के स्टूडेंट को दोबारा पेपर नहीं देना पड़ेगा। इसकी जांच की जा रही है। बतादें कि हाल ही में 12वीं इकोनॉमिक्स और 10वीं मैथ के पेपर लीक होने की खबरें आई थीं। ऐसे में 28 मार्च को पेपर लीक की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई ने 10वीं गणित और 12वीं के अर्थशास्त्र का पेपर दोबारा कराए जाने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद सीबीएसई द्वारा जारी हुए सकुर्लर के मुताबिक 12वीं के अर्थशास्त्र विषय (कोड 030) का री-एग्जाम 25 अप्रैल को होगा। वहीं 10वीं मैथ (कोड 041) के री-एग्जाम की डेटफाइनल नहीं की थी। ऐसे में इसको लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर हुई थीं।

जांच पूरी होने तक न कराया जाए री-एग्जाम

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी की सीबीएसई के हाल ही में 10 वीं और 12 वीं कक्षा गणित और इकोनॉमिक्स के पेपर लीक होने के मामले सामने आए हैं। ऐसे में बोर्ड द्वारा इन परीक्षाओं को दोबारा कराए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई थीं। इन याचिकाओं में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट जांच पूरी होने तक लीक हुए पेपर की दोबारा परीक्षा होने पर रोक लगा दे। इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने फैसला लिया है कि इस मामले में अब तक कई याचिकाएं आ चुकी हैं। ऐसे में अब इन पर 4 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी।

बोड्र के प्लान के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी

वहीं दूसरी ओर दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीएसई से 10वीं मैथ का री-एग्जाम कराए जाने के उसके प्लान के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है। बतादें कि केरल के रहने वाले 15 वर्षीय रोहन मैथ्यू के वकील ने दिल्ली हाईकोई में बोर्ड के री-एग्जाम वाले फैसले को चुनौती देते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी। इस याचिका में छात्र ने पेपर लीक मामले में निष्पक्ष जांच और पहले हुई परीक्षाओं के आधार पर ही परिणाम घोषित करने की मांग की है। बतादें कि बीते 30 मार्च को सीबीएसई ने 25 अप्रैल को पूरे देश में कक्षा 12 के लिए इकोनॉमिक्स के लिए री-एग्जाम का ऐलान किया था। इसके साथ ही यह भी कहा था कि आगामी 15 दिनों की जांच के बाद 10वीं मैथ के री-एग्जाम कराने का फैसला लिया जाएगा।

पहले की परीक्षा के मुताबिक घोषित हो रिजल्ट
सीबीएसई ने यह साफ कर दिया है कि कि अगर दसवीं का एग्जाम होता है तो वह सिर्फ दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में ही कराया जाएगा। मैथ्यू ने बोर्ड द्वारा छात्रों के अधिकारों का जिक्र करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। वहीं इसके पहले कोर्ट में शकरपुर के निवासी रेपक कंसल ने सीबीएसई के निर्णय को चुनौती दी थी। उन्होंने भी 12 के इकोनॉमिक्स और क्लास 10 के गणित के पेपर के री-एग्जाम पर सवाल उठाए थे। इस याचिका में कहा गया कि इस साल 10वीं में करीब 16,38,428 और 12वीं 11,86,306 स्टूडेंट हैं। ऐसे में सीबीएसई को पेपर लीक मामले में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए थी।

याचिकाओं में स्टूडेंट के अधिकारों की हुई मांग

बोर्ड की गलती का खामियाजा इन स्टूडेंट को भुगतना पड़ रहा है। इस याचिका में यह भी जिक्र हुआ है कि पेपर शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही पेपर लीक की जानकारी सोशल मीडिया पर आने लगी थी। इसके बाद भी सीबीएसई ने पेपर लीक से इंकार किया था। उसने अभिवावकों से भी कहा था कि वे इस तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। इतना ही नहीं याचिका में बोर्ड को आने वाली परीक्षाओं को बेहतर ढंग से कराने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई थी। केंद्र और सीबीएसई के लिए दिशा-निर्देश मांगने वाली याचिका में यह भी कहा गया है कि सीबीएसई अधिकारियों की निष्क्रियता या गलत कार्रवाई के कारण छात्रों की मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

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