- पब्लिक स्कूल वाले निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ने का नहीं बना सकते दबाव

- सीबीएसई के ई-पोर्टल से अभिभावक एवं बच्चे डाउनलोड कर सकते हैं एनसीईआरटी की किताबें

Meerut। सीबीएसई से जुड़े निजी पब्लिक स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ने का दबाव नहीं बना सकेंगे। एनसीईआरटी की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि सीबीएसई स्कूलों में जब एनसीईआरटी के पैटर्न से पढ़ाई होती है तो महंगी किताबें थोपना बेबुनियाद है। पेरेंट्स का शोषण नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद पब्लिक स्कूलों में एनसीईआरटी बुक्स की कमी बताकर बच्चों पर निजी प्रकाशकों की पुस्तकें थोपी जा रही हैं। अब सवाल ये है कि एनसीईआरटी का आदेश कैसे लागू होगा और इसे न मानने वाले स्कूलों पर क्या कार्रवाई होगी?

हवा-हवाई आदेश

सीबीएसई ने अप्रैल के दूसरे सप्ताह में सभी संबंधित स्कूलों को हिदायत दी है कि वे क्लास वन से इंटर तक सिर्फ एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित पुस्तकें ही खरीद सकते हैं। पिछले साल जुलाई में भी सीबीएसई के आदेश जारी किए गए थे, जो बेअसर साबित हुए। आदेश न मानने वालों पर क्या कार्रवाई होगी, ये न पहले स्पष्ट था और न अब स्पष्ट है।

आदेश में जताई है नाराजगी

यह आदेश सीबीएसई एडीशनल डायरेक्टर सुगंध शर्मा ने जारी किया है। यह सीधे संबंधित स्कूलों के प्रिंसिपल को संबोधित है। 12 अप्रैल को जारी किए गए आदेश में स्कूलों द्वारा किताबों को लेकर गाइडलाइन न मानें पर नाराजगी भी जताई है।

लुट गए पेरेंट्स

स्कूलों में एक अप्रैल से शिक्षण सत्र प्रारंभ हो चुका है, पेरेंट्स कॉपी-किताबें खरीदकर बच्चों को स्कूल भेजने लगे हैं। किताब-कॉपियों के भारी कमीशन चुकाकर लुट चुके अभिभावकों की सुध अब जाकर बोर्ड ने ली है। पेरेंट्स मानते हैं कि इस तरह के आदेश हर साल जारी होते हैं, लेकिन उन्हें लागू करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

----------

बचा सकता है पोर्टल

एनसीईआरटी की कक्षा एक से बारहवीं तक की किताबें नि:शुल्क में ई-सीबीएसई पोर्टल पर उपलब्ध हैं। बाजार में किताबों की कमी होने पर अभिभावक सीबीएसई के पोर्टल से एनसीईआरटी की किताबें डाउनलोड करके निजी प्रकाशकों के शोषण से बच सकते हैं। सीबीएसई ने छात्रों एवं अभिभावकों को सचेत किया है कि वह सीबीएसई और एनसीईआरटी की वेबसाइट से ऑनलाइन किताबें डाउनलोड करके बाजार में बनी किताबों की कमी दूर कर सकते हैं।

स्कूल मंगा सकते हैं बुक्स

अक्सर एनसीईआरटी के मामले में स्कूल बहाने बनाते हैं कि उसकी किताबें समय पर उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। सीबीएसई ने अपने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्कूल चाहें तो सीधे थोकबंद किताबें मंगा सकते हैं। साथ ही वेबसाइट पर यह किताबें नि:शुल्क उपलब्ध हैं।

---------

लागू करेंगे आदेश

सीबीएसई के आदेशों का पूरा पालन किया जाएगा। स्कूल भी कोशिश करेंगे कि कम से कम प्राइवेट बुक्स लगे।

-राहुल केसरवानी, सहोदय सचिव

हमारे स्कूल में केवल ऐसी बुक्स प्राइवेट लगाई जाती हैं, जिनकी एनसीईआरटी बुक्स नहीं मिलती है।

-कपिल सूद, प्रिंसिपल, जीटीबी

सीबीएसई के आदेशों का पालन किया जाएगा। कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्यादा एनसीईआरटी बुक्स लगे।

-मधु सिरोही, प्रिंसिपल एमपीजीएस

----------

कमीशन का खेल

पब्लिक स्कूलों में हर साल किताबें बदल दी जाती है। जो बुक एनसीईआरटी में 40 रुपए की आती है वहीं बुक प्राइवेट में 240 की आती है। जिससे स्कूल मोटी कमीशन कमाते हैं।

-सौरभ राजनकुंज

हर बार स्कूलों की यही कहानी होती है। स्कूल्स नई बुक्स लगाते रहते हैं जिसके चलते मजबूरन पेरेंट्स को भी महंगी बुक्स खरीदनी पड़ती है।

-सतनाम, सदर

-----------

ऑफिशियल स्पीक

स्कूलों को नियम लागू करने के लिए कहा जाता है और इसके लिए कई बैठके व जांच भी करवाई जाती है। लेकिन जब कार्रवाई करने का समय आता हैं तो स्कूल इस संबंध में स्टे ऑर्डर ले आते हैं।

-डॉ। महेंद्र देव, जेडी