समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे माँगते हुए अपनी याचिका पर तुरंत सुनवाई की माँग की है. भारत के मुख्य न्यायाधीश शनिवार शाम साढ़े चार बजे अपने निवास पर सुनवाई करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट में एक कैवियट याचिका दायर कर कहा गया है कि सीबीआई मामले में केंद्र सरकार की याचिका पर आदेश दिए जाने से पहले याचिकाकर्ता नरेंद्र कुमार को भी सुना जाए.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सीबीआई को असंवैधानिक क़रार देने में गुवाहाटी हाई कोर्ट से ग़लती हुई है. केंद्र सरकार ने कहा है कि गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश का व्यापक असर होगा.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि हाई कोर्ट के फ़ैसले का नौ हज़ार मुक़दमों और सीबीआई द्वारा की जा रही एक हज़ार से अधिक जाँचों पर पड़ेगा.

इससे पहले गुवाहाटी हाईकोर्ट ने उस प्रस्ताव को रद्द कर दिया था, जिसके आधार पर सीबीआई का गठन किया गया था. इसके साथ ही गुवाहाटी हाईकोर्ट ने सीबीआई की सारी कार्रवाइयों को 'असंवैधानिक' बताया है.

शुक्रवार को कार्मिक मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने इस मसले पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाक़ात की.

अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल पीपी मल्होत्रा ने पीटीआई को बताया, "फ़ैसला साफ़तौर पर ग़लत है...हम निश्चित रूप से इसे चुनौती देने जा रहे हैं और सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील दाख़िल की जा सकती है."

हाईकोर्ट का फ़ैसला

हाई कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि सीबीआई के गठन के लिए "गृह मंत्रालय का प्रस्ताव न तो केंद्रीय कैबिनेट का फ़ैसला था और न इन कार्यकारी निर्देशों को राष्ट्रपति ने अपनी मंज़ूरी दी थी."

हाई कोर्ट ने आगे कहा था, "संबंधित प्रस्ताव को अधिक से अधिक एक विभागीय निर्देश के रूप में लिया जा सकता है, जिसे क़ानून नहीं कहा जा सकता."

पीटीआई के मुताबिक़ हाई कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा, "मामला दर्ज करने, किसी व्यक्ति को अपराधी के रूप में ग़िरफ़्तार करने, जांच करने, ज़ब्ती करने, संदिग्धे पर मुक़दमा चलाने जैसी सीबीआई की गतिविधियां संविधान के अनुच्छेद-21 को आघात पहुंचाती हैं और इसलिए उसे असंवैधानिक मानकर रद्द किया जाता है."

संविधान का अनुच्छेद-21 व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है.

International News inextlive from World News Desk