-सेन्ट्रल फूड मिनिस्टर रामविलास पासवान ने राज्य सरकार को घेरा

-मिनिस्टर ने कहा-ऐसे में कैसे लागू हो पाएगा फूड सिक्यूरिटी एक्ट

PATNA: बिहार में पहले एक करोड़ क्8 लाख 79 हजार परिवारों को राशन मिलता था, जिसमें ख्भ् लाख एक हजार अंत्योदय परिवार एवं ब्0 लाख ख्ख् हजार बीपीएल परिवार व भ्फ् लाख भ्म् हजार एपीएल परिवार सम्मिलित थे। कुल खाद्यान्न फ्म् लाख ख्ख् हजार टन प्रतिवर्ष आवंटन किया जाता था। यह कहा सेंट्रल फूड मिनिस्टर रामविलास पासवान ने।

लेटर लिखने के बावजूद ये हाल

रामविलास ने एलजेपी ऑफिस में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि फूड सिक्योरिटी एक्ट के अंतर्गत परिवारों की संख्या बढ़कर एक करोड़ भ्8 लाख 97 हजार हो गई है। कुल परिवार के सदस्यों को जोड़ा जाए, तो आठ करोड़ 7क् लाख क्म् हजार व्यक्ति होते हैं, जिन्हें फूड सिक्योरिटी एक्ट को लागू हुए एक साल पांच महीने से ज्यादा हो गए, पर अभी तक केवल सात करोड़ म्0 लाख म्ख् हजार लाभार्थियों को ही केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिमाह ब् लाख 9 हजार टन आवंटित किया जा रहा है, यानी ब्9 लाख टन प्रतिवर्ष आवंटित किया जाता है। एक करोड़ क्0 लाख लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए बार-बार आग्रह करने और केन्द्र सरकार द्वारा कई बार पत्र लिखने के बाद फ्0 जुलाई ख्0क्भ् को राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को 9म् लाख फ् हजार लाभार्थियों की सूची भेजी। केन्द्र ने जब सूची की गणना की, तो केवल 78 लाख सूची ही थी। इसमें से भ् लाख से ज्यादा सूची ऐसी थी, जिसमें केवल नाम थे, पता थे ही नहीं।

ये सूची शीघ्र भेजें

रामविलास पासवान ने कहा कि फ्म् लाख 7म् हजार लाभार्थियों की सूची शीघ्र भेजने का कष्ट करें। उन्होंने कहा कि काफी जगहों से ये शिकायत आयी है कि बिहार सरकार का कहना है कि मोदी सरकार ने बिहार में एपीएल और बीपीएल को खत्म कर दिया है, जबकि हकीकत यह है कि मोदी सरकार मई में सत्ता में आई और बिहार सरकार ने बिना लाभार्थियों की सूची तैयार किए अपने राजनैतिक लाभ के लिए मार्च ख्0क्ब् में बीपीएल और एपीएल को समाप्त कर बिहार में नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट लागू कर दिया।