RANCHI

बताते चले कि किसी भी मेडिकल कालेज की मान्यता के लिए हास्पिटल में सेंट्रल लैब होना जरूरी है। लेकिन इसको लेकर भी रिम्स प्रबंधन लापरवाह है। जबकि अगर किसी मेडिकल कालेज में सेंट्रल लैब नहीं होता है तो उस कालेज की मान्यता भी खत्म की जा सकती है।

डायरेक्टर डॉ। एस हैदर से सीधी बात

आई नेक्स्ट : मेडाल के खुल जाने से क्या सेंट्रल लैब बंद हो जाएगा?

जवाब : ऐसा नहीं है, मेडाल अपनी जगह है और सेंट्रल लैब अपनी जगह। मेडिकल कालेज के लिए सेंट्रल लैब का होना जरूरी है।

आई नेक्स्ट : रिम्स में मेडाल को लैब के लिए अच्छी जगह दी गई है जबकि सेंट्रल लैब बदहाल है?

जवाब : मेडाल ती पीपीपी मोड पर है उससे हास्पिटल को कोई लेना देना नहीं है। जहां तक सेंट्रल लैब की बात है तो उसके लिए व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही सबकुछ ठीक हो जाएगा।

आई नेक्स्ट : क्या मेडाल और सेंट्रल लैब के लिए काम बांटे गए है?

जवाब : नहीं, मरीज कहीं भी अपनी जांच करा सकता है।

ब्लड सैंपल नहीं लेने पर मरीजों का हंगामा

रिम्स में इन दिनों सेंट्रल लैब की स्थाई व्यवस्था नहीं होने के कारण काम प्रभावित हो रहा है। जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बुधवार को क्ख् बजे के बाद सेंट्रल लैब में ब्लड का सैंपल कलेक्ट नहीं किए जाने पर मरीजों और उनके परिजनों ने जमकर हंगामा किया। काफी देर हंगामे के बाद मरीजों का सैंपल लिया गया। बताते चले कि अस्थाई होने की वजह से सेंट्रल लैब में सैंपल रखने की भी जगह नहीं है।

हास्पिटल से ब्लड देने की मांग

धुर्वा के रहने वाले सुरेंद्र मलिक का मंगलवार को पैर का आपरेशन किया गया। ग्राफ्टिंग के बाद डॉक्टर ने मरीज को खून चढ़ाने को कहा था। उनके परिजन खून भी लेकर आए लेकिन नर्स ने उन्हें खून नहीं चढ़ाया। इसके बाद नाइट ड्यूटी में आई नर्स ने जब खून चढ़ाने के लिए यूनिट उठाया तो देखा कि वह तो खराब हो चुका है। इसके बाद परिजनों ने खराब खून को चढ़ाने से मना किया और उसे फेंक दिया। मरीज की पत्नी गुडि़या देवी ने ड्यूटी में मौजूद डॉक्टर से निशुल्क खून दिलाने की मांग की है। बताते चले कि सुरेंद्र को पिछले बुधवार को रिम्स में एडमिट कराया गया था।