दो साल आठ माह बाद भी छात्र को नहीं मिला आरटीआई का जवाब

ALLAHABAD: सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद राइट टू इन्फार्मेशन (सूचना के अधिकार) एक्ट का कैसे दुरुपयोग कर रही है? इसका एक जीता जागता उदाहरण सामने आया है। दरअसल, यूनिवर्सिटी से जुड़े एक छात्र ने इविवि प्रशासन से आरटीआई के माध्यम से कुछ सवालों का जवाब मांगा था। जिसका जवाब छात्र को दो साल आठ माह बीतने के बाद भी नहीं मिल सका है। यह आरटीआई पत्रकारिता छात्र समिति के संयोजक सक्षम द्विवेदी की ओर से दाखिल की गई थी। ऐसे में सेंट्रल इन्फार्मेशन कमीशन नई दिल्ली ने इविवि प्रशासन को एक माह के भीतर सख्त रुप से स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है।

08 जनवरी 2014 को पूछा था सवाल

दरअसल, पत्रकारिता छात्र समिति के संयोजक सक्षम द्विवेदी पुत्र चन्द्रशील द्विवेदी ने इविवि प्रशासन से आरटीआई के माध्यम से पूछा था कि पत्रकारिता एवं जनसंचार के छात्रों द्वारा 08 जनवरी 2014 को वाइस चांसलर को ज्ञापन दिया गया था। जिसमें कम्यूनिटी रेडियो को विवि में प्रारम्भ करने की मांग की गई थी। इसपर क्या कार्रवाई की गई, छात्र ने जानने की कोशिश की थी। उसने विवि प्रशासन से सवाल किया था कि जब कम्यूनिटी रेडियो संचालित करने का अधिकार व फ्रिक्वेंसी विवि प्रशासन के पास है तो इसमें क्या बाधा आ रही है?

सीआईसी ने कहा एक माह में दें स्टेटस रिपोर्ट

इस सवाल का जवाब अभी भी सक्षम द्विवेदी को आरटीआई के जरिये नहीं मिल सका है। जिसके बाद कम्यूनिटी रेडियो कोर्स के लिए सक्षम ने सेकेंड अपील फाइल की थी। इसका भी जवाब नहीं मिला। जिसके बाद सीआईसी प्रो। एम। श्रीधर ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। उन्होंने इविवि प्रशासन के सीपीआईओ को कोर्स की बावत स्टेटस रिपोर्ट एक माह के भीतर देने को कहा है। इस बावत सक्षम द्विवेदी का कहना है कि इससे विवि की नीतियां स्पष्ट होती हैं। उसका कहना है कि पत्रकारिता छात्र समिति छात्रों के अधिकारों के लिए संघर्ष करती आयी है। ऐसे में विवि प्रशासन जवाबदेही से बच नहीं सकता।