नई दिल्ली (पीटीआई)। केंद्र द्वारा की गयी इस बैठक में गाइडलाइन को लेकर दोबारा से विचार किया गया है। बैठक की अध्यक्षता एमरजेंसी मेडिकल रिलीफ के निदेशक डॉ एल स्वस्तीचरण ने की। इस बैठक में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधियों के अधिकारियों को शामिल किया गया। केंद्र द्वारा जारी मौजूदा 'मंकीपॉक्स को रोकने के लिए जारी गाइडलाइन' के अनुसार पिछले 21 दिनों के अंदर प्रभावित देशों की यात्रा करने वाले तथा दाने और सूजन लिम्फ नोड्स, बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देने पर उस व्यक्ति को सस्पेक्ट माना जाना चाहिए।

संपर्क में आने से फैलता है संक्रमण

एक सस्पेक्ट मामले की देखभाल करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पीपीई किट होनी चाहिए, ताकि वह स्वास्थ्यकर्मी सस्पेक्ट के सामने, त्वचा या त्वचा के साथ सीधे शारीरिक संपर्क में न आए। इसके साथ ही सस्पेक्ट के यौन संपर्क सहित घाव, या दूषित सामग्री जैसे कपड़े, बिस्तर या बर्तन के संपर्क में भी नहीं आना चाहिए। इस वायरस का संक्रमण चेक करने के लिए पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) द्वारा किया जाता है। यदि कोई सस्पेक्ट पाया जाता है तो उसे घर, कार्यस्थल, स्कूल, यौन संपर्क, स्वास्थ्य देखभाल, पूजा के घरों, परिवहन, खेल, सामाजिक समारोहों, और किसी भी जगह पर हुए इंटरैक्शन में संपर्कों को बताने के लिए कहा जाता है, ताकि संपर्क में आए व्यक्ति को तुरंत ही उपचार दिया जा सके और वायरस और न फैले।

21 दिनों के अंदर दिखते है लक्षण

संक्रमण की अवधि के दौरान रोगी या उसके द्वारा यूज की गयी चीजें के संपर्क में आने के बाद 21 दिनों में इस वायरस के लक्षण दिखते है। यदि कोई व्यक्ति वायरस से संक्रमित है तो उसे खून, सेल्स या स्पर्म को डोनेट नहीं करना चाहिए। मंत्रालय के दिशानिर्देशों में कहा गया है यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में सांस के माध्यम से भी फैल सकता है। इस वायरस से ग्रसित होने के बाद चेचक जैसे ही लक्षण दिखायी देते हैं। इसके साथ ही इंटरनेशनल ट्रैवलर्स को मृत या जीवित जंगली जानवरों जैसे छोटे स्तनपायी जैसे चूहों और गिलहरी, बंदरों और वानरों जैसे गैर-मानव प्राइमेट के संपर्क से बचने के लिए कहा गया है।

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