अब गले में आर्टिफिसियल डाल निकल रहीं महिलाएं, चढ़ा बाजार

सबसे पसंदीदा शौक छोड़ने के लिए पुलिस को ठहराती हैं जिम्मेदार

महिलाओं के डर से अचानक बढ़ा आर्टिफिसियल ज्वेलरी का मार्केट

ajeet.singh@inext.co.in

ALLAHABAD: चेन स्नेचिंग की वारदातों से डरी सिटी की लेडिज ने अपने सबसे पसंदीदा शौक से मुंह मोड़ लिया है। पहले हर जगह अपनी ज्वेलरी दिखाने का प्रयास करने वाली लेडिज अब उन्हें लॉकर में रखकर आर्टिफिसियल ज्वेलरी पहन घर से निकल रही हैं। अपना यह शौक छोड़ने के लिए मजबूर हुई लेडिज इसके लिए बदमाशों से अधिक पुलिस को जिम्मेदार मानती हैं। उनका कहना है कि यदि पुलिस अपना काम इमानदारी से करती तो अपराधियों का हौसला इतना नहीं बढ़ता और महिलाओं को डरने की नौबत नहीं आती।

बढ़ी आर्टिफिसियल की मांग

महिलाओं के इस डर ने आर्टिफिसियल ज्वेलरी का मार्केट बढ़ा दिया है। इस समय शहर में 300 से अधिक आर्टिफिशियल ज्वैलरी की दुकाने हैं। ये प्रतिमाह 30 से 35 लाख रुपए का कारोबार कर रहे हैं।

लगातार हुई चेन स्नेचिंग की वारदातें

- साउथ मलाका निवासी अंजू से बच्चे को स्कूल छोड़कर घर लौटते समय बाइक सवारों बदमाशों ने चेन छीनी

- कीडगंज की राजरानी के साथ गऊघाट इलाके में हुई चेन स्नेचिंग की वारदात

- बाइकाबाग में कविता गुप्ता की चेन बाइक सवार बदमाशों ने छीन ली

- राजापुर बस स्टाप के निकट सावित्री देवी की चैन छीनकर बदमाश फरार

- जीरो रोड के निकट रेखा अग्रवाल के साथ चैन स्नेचिंग की वारदात

जानसनगंज के निकट नीना प्रजापति के साथ ई रिक्शा पर चैन स्नेचिंग

वर्जन

हाल के दिनों में ऐसी ज्वेलरी की मांग बढ़ी है। अब बड़े घर की महिलाएं भी ऐसी ही ज्वेलरी पहनना पसंद कर रही हैं।

देवेन्द्र चौहान, कटरा के आर्टिफिशियल ज्वैलरी विक्रेता

मैं खुद भी महिला हूं, इसलिए जानती हूं कि एक महिला के लिए सबसे अधिक प्रिय उसकी ज्वेलरी होती है। महिला यह भी चाहती है कि जो भी उसके पास है, उसे सहेलियां और रिश्तेदार देखें जरूर। लेकिन अब वही महिलाएं नकली ज्वेलरी पहनने को मजबूर हैं।

मधु, एंटिक ज्वेलरी विक्रेता

महिलाओं का वर्जन

बदमाशों के लिए महिलाएं सॉफ्ट टारगेट हैं। वे अकेली महिला को देखते ही उसके पीछे लग जाते हैं और मौका पाते ही चेन आदि खींचकर फरार हो जाते हैं। लगातार वारदात के बाद भी पुलिस महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बहुत गंभीर नहीं हुई है। ऐसे में महिलाओं के लिए यही अच्छा है कि वे महंगी ज्वेलरी पहने ही नहीं।

कविता सिंह यादव

मार्केट जाते समय सोने या चांदी के आइटम पहनने से बचती हूं। शहर की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि मार्केट में पैदल चलते समय कौन किधर से आकर गले से चेन छीन ले या कान के टॉप्स नोच ले इसका भरोसा नहीं। पुलिस का हाल ये है कि मुकदमा दर्ज करने के बाद वह अपना काम पूरा मान लेती है।

सोनल गुप्ता

रोड तो दूर की बात है। घर में भी महंगी ज्वेलरी सुरक्षित नहीं है। रोड पर चेन स्नेचरों का भय तो घर में चोरों का डर बना रहता है। इससे बचने के लिए अधिकतर ज्वेलरी लॉकर में रखना सेफ है। उन्हें तभी निकालती हूं जब घर में शादी या किसी कार्यक्रम में शामिल होना हो। यही सबसे अच्छा उपाय है।

सोनाली जैन

महिलाओं की इस स्थिति के लिए पूरी तरह से पुलिस विभाग जिम्मेदार है। चेन स्नेचर महिलाओं के आभूषण आदि छीन लेते हैं। उन्हें घायल भी करते हैं। इसके बावजूद पुलिस उन्हें पकड़ने का कोई प्रयास नहीं करती, यही वजह है कि महिलाओं ने उनसे बचने के लिए महंगी ज्वेलरी ही पहनना छोड़ दिया है।

ज्योति श्रीवास्तव