डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Chaitra Navratri 2021 Day 7 Maa Kalratri Aarti-Bhog: नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के रूप कालरात्रि की पूजा-अर्चना होती है। ये सदैव शुभ फल देने वाली माता के रुप में पूजी जाती है। इनकी पूजा से संपूर्ण मनोकामना पूर्ण होती है और इनकी शक्ति प्राप्त कर भक्त निर्भय और शक्ति संपन्न महसूस करता है। मान्यता है कि कालरात्रि मां की पूजा करने से शनि ग्रह के विष योग जनित ग्रह दोष दूर होते और मृत्यु तुल्य कष्टों से मुक्ति मिलती है। मां को बेला व सफेद कमल का फूल मां को अत्यंत प्रिय माना जाता है। सातवें दिन माता को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने के बाद ब्राह्यणों को दान देने से मां कालरात्रि देवी आकस्मिक संकटों से रक्षा करती हैं।

कालरात्रि
एकवेणी जपाकर्णपुरा नग्ना खरास्थिता।
लमबोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोहलताकणटकभूषणा ।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
दुर्गा की यह सातवी शक्ति कालरात्रि के रुप में पूजी जाती है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह काला है। सिर के बाल बिखरे हुए है इनके गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति के रुप में इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। देवी के तीन नेत्र है ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल है इनके सांसों से अग्नि के समान ज्वाला निकलती रहती है। इनके ऊपर उठे दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को आशीर्वाद देती है इनके दाहिने तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा का संकेत देने वाला है बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा है और उसके नीचे वाले हाथ में खड़ग है यही इस देवी का स्वरुप है।

मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय- जय- महाकाली।

काल के मुंह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।

महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।

महाकाली है तेरा पसारा॥

खडग खप्पर रखने वाली।

दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।

सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।

गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी।

ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें।

महाकाली मां जिसे बचाबे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।

कालरात्रि मां तेरी जय॥