डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Chaitra Navratri 2021 Day 9 Maa Sidhidatri Aarti Bhog: नवरात्रि के नाै दिन देवी दुर्गा के नाै अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। भिन्न-भिन्न स्वरुपों की पूजा से प्रत्येक देवियां अपने गुणकारी स्वभाव के कारण भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाये रखती हैं। इसके साथ ही उनके भीतर के अंधकार को मिटाती है और आन्तरिक ज्योति को जगाती है। ऐसे में अंतिम दिन यानी नवमी के दिन सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है। यह देवी सभी सिद्धियों को देने वाली है इसलिए भक्तजन इनके आशीर्वाद की कामना करते है यदि इनका आशीर्वाद मिल जाये तो सारी सिद्धियों का लाभ भक्तजन प्राप्त करने में सफल हो सकते है और सुखमय जीवन प्राप्त कर सकते है। नवमी के दिन तिल का भोग लगाने से अनहोनी की आशंका खत्म होती है।

सिद्धिदात्रीः-
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
नवरात्रि के नवें एवं अन्तिम दिन इनकी पूजा की जाती है। इनके बारे में कहा गया है अर्णिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वाशित्व आठ सिद्धियाँ इनमें विराजमान होती है इसलिए इस देवी को सच्चे मन से विधि-विधान से पूजा या आराधना करे से सभी तरह की सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती है। देवी की कृपा से ही शिव जी का आधा शरीर देवीमय हो गया है। इस देवी के दाहिने तरफ वाले हाथ में चक्र, उपर वाले हाथ में गदा तथा बाईँ तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। इस देवी की साधना करने से अलौकिक एवं पारलौकिक कामनाओं की पूर्ति होती है।

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माता सिद्धिदात्री की गाएं ये आरती

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता

तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि

कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम

हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,

तेरी पूजा में न कोई विधि है

तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है

रविवार को तेरा सुमरिन करे जो

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,

तू सब काज उसके कराती हो पूरे

कभी काम उस के रहे न अधूरे

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया

रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया,

सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली

जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा

महानंदा मंदिर में है वास तेरा,

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता

वंदना है सवाली तू जिसकी दाता।