डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Chaitra Navratri 2021 Day 6 Maa Katyayani Live Aarti-Bhog: नवरात्रि की देवियों की पूजा में छठे दिन की पूजा कात्यायनी देवी के रुप में होती है। कहा जाता है बैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होने के कारण इन्हें पूजा जाता है। भगवान कृष्ण को पति के रुप में पाने के लिए व्रज की गोपियों ने इसी देवी की पूजा की थी। इस देवी की पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी इसीलिए इन्हें ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रुप में प्रतिष्ठित माना गया है। कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महार्षि कात्यायन ने भगवती पाराम्बा की उपासना की थी, कठिन तपस्या के कारण उनकी इच्छाओं की पूर्ति हुई। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रुप में जन्म लिया। इसलिए इन्हें कात्यायनी देवी कहा जाता है।

कात्यायनीः-
चन्द्रहसोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।
मां कात्यायनी का वाहन सिंह है इनकी कृपा से भक्तजन के सारे कार्य पूरे हो जाते है। इसलिए इनकी उपासना नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। इनकी साधना से साधकों के प्रत्येक कार्य पूर्ण होते है और इनकी विशेष कृपा भक्तों पर बनी रहती है। मां कात्‍यायनी का पसंदीदा रंग लाल है। इसके साथ ही मां दुर्गा के इस स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए उन्हें भोग में शहद का भोग लगाएं तो आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। मान्यता है कि जिन कन्याओं के विवाह में विलंब होता है उन्हें मां कात्यायनी के पूजन से लाभ हेाता है। सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा फलदायी होती है।

माता कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यानी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते

हर मंदिर में भगत है कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

ब्रेह्स्पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यानी का धरिये

हर संकट को दूर करेगी

भंडारे भरपूर करेगी

जो भी मां को 'चमन' पुकारे

कात्यानी सब कष्ट निवारे