डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Chaitra Navratri 2024 Maa Sidhidatri Aarti Bhog: इस साल चैत्र नवरात्रि की नवमी 17 अप्रैल को है। नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन देवी के एक अलग रूप की पूजा होती है। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में ये देवियां धरती पर आती है और अपने भक्तों को अपने आशीर्वाद से हर तरह से शक्ति संपन्न करती है। अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें महागौरी स्वरूप का पूजन कर व्रत आदि रखा जाता है। आखिरी नवरात्रि यानी की नौवें दिन में तिल का भोग लगाने से अनहोनी की आशंका खत्म होती है।

सिद्धिदात्रीः-

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

नवरात्रि के नवें एवं अन्तिम दिन इनकी पूजा की जाती है। इनके बारे में कहा गया है अर्णिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वाशित्व आठ सिद्धियाँ इनमें विराजमान होती है इसलिए इस देवी को सच्चे मन से विधि-विधान से पूजा या आराधना करे से सभी तरह की सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती है। देवी की कृपा से ही शिव जी का आधा शरीर देवीमय हो गया है। इस देवी के दाहिने तरफ वाले हाथ में चक्र, उपर वाले हाथ में गदा तथा बाईँ तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। इस देवी की साधना करने से अलौकिक एवं पारलौकिक कामनाओं की पूर्ति होती है।

माता सिद्धिदात्री की आरती

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।।

कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम।
हाथ सेवक के सर धरती हो तुम।।

तेरी पूजा में न कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है।।

रविवार को तेरा सुमरिन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।।

तू सब काज उसके कराती हो पूरे।
कभी काम उस के रहे न अधूरे।।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया।।

सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महानंदा मंदिर में है वास तेरा।।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता।।