RANCHI : रांची में राज्य के सबसे बड़ा संगठन फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर का 8 सितंबर को चुनाव होने जा रहा है। इस चुनाव को लेकर दो टीमें तैयार हो चुकी हैं। एक टीम का नेतृत्व कुणाल आजमानी कर रहे हैं तो दूसरी का नेतृत्व किशोर मंत्री कर रहे हैं। दोनों टीमों से 21-21 लोग चुनाव मैदान में हैं। मगर हैरत की बात यह है कि दोनों टीमों से चुनाव लड़ने के लिए 42 कैंडीडेट्स में सिर्फ एक महिला प्रत्याशी हैं। जबकि रांची सहित पूरे राज्य में काफी संख्या में ऐसी महिलाएं हैं जो बिजनेस कर रही हैं

सिर्फ एक महिला प्रत्याशी

इस चुनाव में महिला प्रत्याशी के रूप में एकमात्र पूजा ढाढा हैं जो टीम कुणाल के तरफ से चुनाव मैदान में डटी हैं। वहीं किशोर मंत्री की तरफ से 21 कैंडीडेट्स में एक भी महिला प्रत्याशी नहीं है। इसके पहले भी चैंबर के चुनाव में महिला प्रत्याशी बहुत कम होती थीं। चैंबर जैसे संस्था में भी आधी आबादी को भागीदारी नहीं दी जा रही है। यह दोनों टीमों के लोगों को सोचने की जरूरत है।

एक्टिव महिलाएं भी हुई बाहर

ऐसा भी नहीं है कि चैंबर चुनाव में महिलाएं भागीदारी नहीं करना चाहती हैं। सोनी मेहता, पूनम आनंद, डॉ। भारती कश्यप, अंजली जैन सहित कई महिलाएं हैं जो पहले चैंबर के चुनाव में काफी एक्टिव नजर आती थीं लेकिन इस बार के चुनाव से इन महिला व्यवसायियों ने खुद को अलग कर लिया है।

वोट देने भी बहुत कम आती हैं

चुनाव में महिला प्रत्याशियों की संख्या नगण्य होने के कारण वोट देने वालों में भी महिला वोटर की संख्या काफी कम होती है। तीन हजार से अधिक वोटर्स में वोट डालने के लिए महिला वोटरों की संख्या ना के बराबर रहती है। बस गिनी चुनी महिलाएं ही चैंबर के चुनाव में वोट करने के लिए आगे आती हैं। अगर महिला प्रत्याशियों की संख्या अधिक रहती तो यह संभव है कि उनके पक्ष में वोट करने के लिए अधिक संख्या में महिला वोटर निकलतीं।

महिलाओं की प्रायॉरिटी अलग

चैंबर की कार्यकारणी में सदस्य रही पूनम आनंद बताती हैं कि महिलाओं की प्रायॉरिटी अलग होता है। बिजनेस के साथ-साथ उनको परिवार और समाजिक काम भी करना होता है, इसलिए चुनाव में कम आती हैं। लेकिन चैंबर में महिला उद्यमी के लिए भी कमेटी बना हुआ है, जो महिला इंटरप्रेन्योर को बढ़ावा देने का काम करती है।