रांची (ब्यूरो) । Jharkhand New CM Champai Soren: चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ शुक्रवार को ली. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राजभवन स्थित दरबार हॉल में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चम्पई सोरेन को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस अवसर पर आलमगीर आलम एवं सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री पद की शपथ ली. इसके साथ ही तीन दिनों का झारखंड का सियासी तूफान भी थम गया. सत्ता पक्ष के सभी विधायक हैदाराबाद के लिए रवाना हो गए. पांच फरवरी को नई सरकार का फ्लोर टेस्ट होगा. राजभवन में चम्पाई सोरेन के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सत्ता पक्ष के सभी विधायक सर्किट हाउस से दो चार्टर्ड प्लेन से हैदराबाद भेज दिये गये.

आलमगीर व भोक्ता बने मंत्री

विधायकों को टूटने से बचाने के लिए उन्हें हैदराबाद शिफ्ट किया गया है. अब सभी विधायक फ्लोर टेस्ट के दिन रांची पहुंचेंगे. पहला चार्टर्ड प्लेन दोपहर 01.35 बजे और दूसरा 01.45 बजे रवाना हुआ. कुल 36 विधायक चार्टर्ड प्लेन में रवाना हुए हैं.

Journey of Champai Soren: फर्श से अर्श तक पहुंचे चंपाई

टाइगर के नाम से लोकप्रिय हैं चंपाई सोरेन

- 1991 में पहली बार निर्दलीय चुने गए थे विधायक

- दूसरी बार 1995 में झामुमो से बने विधायक

- महागठबंधन के नेता चुने गए चंपाई सोरेन अपनी सादगी और संघर्षशील छवि के कारण लोकप्रिय रहे हैं

- सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया क्षेत्र के जिलिंगगो गांव निवासी चंपाई सोरेन की उम्र 67 वर्ष है

- उन्हें टाइगर नाम से लोगों ने तब पुकारना शुरू किया, जब वर्ष 1990 में उन्होंने टाटा स्टील के अस्थायी श्रमिकों के पक्ष में अनिश्चितकालीन गेट जाम आंदोलन किया

- लगभग 1700 ठेका मजदूरों की कंपनी में स्थायी प्रतिनियुक्ति कराई, चंपाई ने राजनीति के क्षेत्र में मजदूर आंदोलन के जरिये ही कदम रखा था.

-इस आंदोलन के बाद यह धारणा बन गई थी कि चंपाई जहां भी आंदोलन का नेतृत्व करेंगे, वहां जीत मिलेगी.

- चंपाई की एक खासियत उनकी स्वच्छ और विवादरहित छवि भी रही है.

- पार्टी में शिबू सोरेन के बाद सबसे ज्यादा आदर इन्हीं को मिलता है.

- झामुमो प्रमुख और हंमंत के पिता शिबू सोरेन के वह पुराने सहयोगी रहे हैं.

- 11 नवंबर 1956 को जन्मे चंपाई ने 10वीं तक की पढाई जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित रामकृष्ण मिशन उच्च विद्यालय से की थी.

- वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के अनंतराम टुडू से हार गए थे.

- इसके बाद चंपाई 2005 से लगातार 2009, 2014 व 2019 में चुनाव जीतते रहे हैं.

- चंपाई के चार बेटे और तीन बेटियां हैं.

- चम्पाई सोरेन के पिता सिमल सोरेन पेशे से किसान थे

- चम्पाई भी खेती में उनका हाथ बंटाया करते थे, राजनीति में आने से पहले वे खेती करते थे.

- झारखंड आंदोलन में चंपाई सोरेन झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के साथ रहे हैं.

- चंपाई सोरेन 2009 से 2014 की राज्य सरकार में पहली बार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, श्रम व आवास विभाग के मंत्री बने, फिर उन्हें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का मंत्री बनाया गया

- इसके बाद 2019 में हेमंत सोरेन की सरकार में चंपाई परिवहन मंत्री बनाए गए.

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