भारतीय समय के अनुसार ग्रहण का प्रारम्भ (स्पर्श)रात्रि 1 बजकर 31 मिनट पर मध्य रात्रि 3 बजकर 1 मिनट पर तथा मोक्ष( समाप्ति) रात्रिशेष 4बजकर 30मिनट पर होगा। ग्रहण का ग्रासमान-0.658 तथा ग्रहण की कुल अवधि दो घण्टा,उनसठ मिनट की होगी।ग्रहण का सूतक आठ घण्टे पूर्व से मान्य होगा।ग्रहण को सीधे आँख से देखना हानिकारक है।

इस मंत्र का करें जाप, गर्भिणियों का ऐसे रखें ख्याल

ग्रहण की अवधि में पूजा-आराधना एवंमन्त्र-साधना का विशेष महत्व है।ऐसा प्रमाण मिलता है कि ग्रहण-अवधि में जाप करने से मन्त्र सिद्ध होकर इष्ट फल प्रदान करता है। अतः “ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय “इस मन्त्र का ग्रहण में जाप करने से “मनेपरिवारे च”सुख-शान्ति की वृद्धि होती है।ग्रहण में गर्भिणी स्त्रियों को विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें गर्भ गोंठने का विधान शास्त्र में निर्देशित है, अर्थात् गाय के गोबर से गर्भ को आरक्षित करने से गर्भस्थ शिशु निरोग एवं बुद्धिमान होता है।

इन राशियों के लिए अशुभ है ग्रहण

ग्रहण का बारह राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है ।यह ग्रहण धनु राशि पर लगेगा।अतः धनु,मकर,वृश्चिक,वृष,कन्या मेष ,सिंह एवं मिथुन राशि के लिए शुभ नहीं है।इन राशि वालों को ग्रहण देखने से मृत्युतुल्य कष्ट,”शारीरिक क्षति, धन - हानि अपयश व अशान्ति का सामना करना पड़ सकता है।इसके विपरीत कर्क,तुला,कुम्भ एवं मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण सुख-समृद्धि के साथ अनेक प्रगति कारक शुभ सूचना लेकर आ रहा है। ग्रहण के बाद स्नान के उपरांत उपयुक्त पात्र को पुराने वस्त्रों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से ग्रह-दोष का नाश होता है तथा नूतन समृद्धि की प्राप्ति होती है।इसके अतिरिक्त सभी को कालातिल ,नमक,तेल एवं अन्न का दान करना चाहिए इससे राहु-शनि के अतिरिक्त समस्त ज्ञात-अज्ञात पाप-ग्रह दोष ,पित्र-दोष स्वतः नष्ट हो जाते हैं।

।।ग्रहण काले सर्व शुभमस्तु।।

पंडित चक्रपाणी भट्ट

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