बेंगलुरु (पीटीआई)। Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 की चांद पर सक्सेजफुल लैंडिग के बाद से लैंडर विक्रम व प्रज्ञान रोवर वहां पर अपने खोज कार्य में लगे हुए हैं। इस दाैरान दोनों नए-नए नजारे पिक्चर्स के जरिए लगातार शेयर कर रहे हैं। रोवर 'प्रज्ञान' पर लगे एक अन्य इंस्ट्रूमेंट ने चंद्रमा क्षेत्र में सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि की है। बेंगलुरु मुख्यालय वाली राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप (एपीएक्सएस) ने चंद्रमा पर सल्फर के साथ-साथ अन्य छोटे तत्वों का भी पता लगाया है। चंद्रयान-3 की यह खोज वैज्ञानिकों को क्षेत्र में गंधक (एस) के स्रोत के लिए नए स्पष्टीकरण विकसित करने के लिए मजबूर करती है: आंतरिक?, ज्वालामुखीय?, उल्कापिंड?&य

रोटेशन को लैंडर इमेजर कैमरे द्वारा कैप्चर किया गया
इसरो ने सुरक्षित रास्ते की तलाश में घूमते रोवर का एक वीडियो भी जारी किया। रोटेशन को लैंडर इमेजर कैमरे द्वारा कैप्चर किया गया। इस पर इसरो ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ऐसा महसूस हो रहा है मानो कोई बच्चा चंदामामा के आंगन में अठखेलियां कर रहा हो और मां स्नेहपूर्वक उसे देख रही हो। रोवर पर लगे लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) उपकरण ने पहले ही सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि कर दी है। इन पर वैज्ञानिक विश्लेषण प्रगति पर है। प्रज्ञान रोवर अपने वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करके यह रिकॉर्ड करने में सक्षम है कि दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानें किस चीज से बनी हैं।


यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश
इसरो के एक बयान में कहा गया है कि एपीएक्सएस उपकरण चंद्रमा जैसे कम वायुमंडल वाले ग्रहों की सतह पर मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना के विश्लेषण के लिए सबसे उपयुक्त है। बतादें कि भारत ने 23 अगस्त को एक बड़ी छलांग लगाई, जब चंद्रयान-3 लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश व चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडर स्थापित करने वाला अमेरिका, चीन और रूस के बाद चौथा देश बन गया है। इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घोषणा की कि चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर का टचडाउन स्थान अब से 'शिव शक्ति' बिंदु के रूप में जाना जाएगा।

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