संस्कृत विद्या धर्म विभाग के चांसलर मेडलिस्ट चंद्रकांत पांडेय ने आई नेक्स्ट से शेयर की अपनी बात

-विमान शास्त्र ग्रंथ की खोज करना ही लक्ष्य

VARANASI

मेरा सफर अभी तो यहां से शुरू हुआ है, चांसलर मेडल का हकदार बना तो इसके पीछे माता-पिता, दादा-दादी सहित गुरूजनों के आशीर्वाद का प्रताप है। गुरुजनों की मदद से सफर को जारी रखते हुये विमान शास्त्र के ग्रंथ की खोज कर रहा हूं, जानना चाहता हूं कि आखिरकार प्राचीन काल में विमान कैसे उड़ा करते थे? रावण के पुष्पक विमान जिसे उड़न खटोला भी कहते हैं। विमान शास्त्र में इसका जिक्र भी है। उसी ग्रंथ को हासिल करने के लिए बहुत स्थानों की खाक भी छानी है, उड़न खटोला की हकीकत दुनिया के सामने लाना ही मेरा लक्ष्य है। उक्त बातें चांसलर मेडल पाने वाले चंद्रकांत पांडेय ने दीक्षांत समारोह के बाद आई नेक्स्ट से कहीं।

गांव में ज्ञान की ऊर्जा भी बढ़ानी है

ऊर्जा की राजधानी के लिए फेमस सिंगरौली, एमपी निवासी चंद्रकांत पांडेय ने कहा कि आध्यात्म को जारी रखने का जुनून इसलिए भी है कि मेरे दादा जी ने आध्यात्म के लिए अपनी गवर्नमेंट जॉब छोड़ दी थी। अध्यात्म की तरफ प्रेरित करने वाले मेरे दादा जी प्रेमचंद्र पांडेय ही हैं। मेरा जो गांव हैं वहां संस्कृत का बिल्कुल भी माहौल नहीं है, गिने चुने लोग ही वहां से ग्रेजुएट हैं। तो ऐसे में वहां के लिए कुछ कर सकूं ऐसी अभिलाषा भी है। पिता कैलाश नाथ पांडेय के अलावा बड़े पिताजी गोमती प्रसाद ने बचपन से ही आध्यात्म के प्रति प्रेरित किया है।