-ट्रेनों में लगातार हो रहे बवाल व घटनाओं में एमएसटी धारकों की संलिप्तता को देख रेलवे प्रशासन ने उठाया कदम

-अब एमएसटी और क्यूआरटी तभी बन पाएगी जब जीआरपी देगी पैसेंजर का करेक्टर सर्टिफिकेट

-मुकदमा होने पर एमएसटी एप्लीकेंट की बढेंगी मुश्किलें, देने पड़ेंगे दो गारंटर

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KANPUR : ट्रेनों में अक्सर होने वाले बवाल में एमएसटी और क्यूआरटी धारक पैसेंजर्स का हाथ होने की बात कई बार सामने आती रहती है। एमएसटी होल्डर पैसेंजर्स को जनरल कोच में बैठने की परमीशन होती है लेकिन वो जबरन एसी-थर्ड, एसी सेकेंड और कभी-कभी तो एसी फ‌र्स्ट में भी जबरन घुस जाने और स्लीपर कोच पर कब्जा करने से नहीं चूकते। ऐसे में जब इन कोचेज के पैसेंजर्स उनसे विरोध करते हैं तो वो पहले कहासुनी फिर ग्रुप बनाकर हाथापाई पर उतारू हो जाते हैं। अभी कुछ दिनों पहले ही एमएसटी होल्डर्स ने मुरी एक्सप्रेस में जमकर बवाल मचाया था। इससे पूर्व कुछ महीने पहले ही सेंट्रल पर कांवडि़यों और एमएसटी होल्डर्स ने मिलकर जबर्दस्त तोड़फोड़-अराजकता मचाई थी। कानपुर सेंट्रल और आउटर्स पर आए दिन होने वाले ऐसे बवालों को रोकने के लिए रेलवे अब बिना करेक्टर सर्टिफिकेट के यात्रियों को एमएसटी और क्यूआरटी (रेलवे कर्मियों के परिजनों व करीबियों जारी होने वाला पास) जैसी सुविधाएं इश्यू नहीं करेगा। कानपुर जीआरपी ने ऐसा करना भी शुरू कर दिया है।

अब नहीं चलेगी मनमानी!

कानपुर के आस-पास के जिलों से रोज बड़ी संख्या में ट्रेनों से लोग शहर आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में वो स्टूडेंट्स शामिल हैं जो शहर में पढ़ाई करने आते हैं। इसके अलावा कई गवर्नमेंट इम्प्लाइज अप-डाउन करते हैं। और कई तरह की जॉब करने वाले लोगों का भी आना-जाना होता है। ऐसे में ये पैसेंजर्स एमएसटी और क्यूआरटी से ट्रेनों में सफर करते हैं। जीआरपी इंस्पेक्टर त्रिपुरारी पांडेय के मुताबिक एमएसटी होल्डर्स को हर ट्रेन में सफर करने का अधिकार नहीं होता है। राजधानी, शताब्दी, दूरंतो, कुछ सुपरफास्ट ट्रेनों में एमएसटी होल्डर्स सफर नहीं कर सकते हैं। पर फिर भी कई बार इनको इन ट्रेनों में सफर करते हुए पकड़ा गया है। इनके सफर करने से यात्रियों को प्रॉब्लम होती है तो बवाल की आशंका बढ़ जाती है। ये लोग बीच में ही चेन पुलिंग कर उतर जाते हैं। जिससे अक्सर ट्रेन लेट भी होती हैं।

सख्त जांच के बाद मिलेगी एमएसटी

पहले बिना किसी जांच के किसी भी पैसेंजर्स को शुल्क अदा करने पर एमएसटी जारी कर दी जाती थी। पर अब ऐसा नहीं है। एमएसटी और क्यूआरटी के लिए एप्लाई करने वाले पैसेंजर्स का करेक्टर वैरीफिकेशन जीआरपी करेगी। इसके बाद रेलवे एमएसटी जारी करेगा। जांच में अगर थोड़ी भी गड़बड़ी लगी तो जीआरपी एप्लीकेंट के क्षेत्र के थाने और घर तक पहुंच कर पूरी पड़ताल करेगी।

रजिस्टर में रहेगी पूरी डिटेल

एमएसटी होल्डर पैसेंजर्स की पूरी डिटेल्स जीआरपी के पास मौजूद होगी। जीआरपी इंस्पेक्टर के मुताबिक जीआरपी ने एक रजिस्टर में एमएसटी होल्डर का पूरा बॉयोडाटा मेनटेन करना शुरू कर दिया है। इस रजिस्टर में पैसेंजर का नाम, पता, उम्र से लेकर उसकी नौकरी या बिजनेस तक की पूरी डिटेल्स होगी। इसके साथ ही उसकी एमएसटी कहां से कहां तक की है? वो रोज किस ट्रेन से सफर करता है आदि। इसके अलावा और भी कई जानकारियां जीआरपी के पास मौजूद रहेंगी। जिससे थोड़ा सा भी शक होने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

थाने स्तर पर भी होगी पड़ताल

अगर किसी के खिलाफ मामला दर्ज है और उसने एमएसटी के लिए आवेदन किया तो उसको एक लंबी प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही परमिशन मिलेगी। उस पैसेंजर्स के मामले के बारे में पूरी पड़ताल जीआरपी करेगी। फिर उसको दो लोगों की गारंटी देनी होगी जिसके बाद ही जीआरपी रेलवे को एमएसटी देने के लिए अपनी स्वीकृति देगी।

हर बार जरूरी है स्वीकृति

पैसेंजर्स ने अगर एक बार एमएसटी बना ली और उसकी समयावधि निकल गई तो दोबारा लेने के लिए उसको जीआरपी की स्वीकृति लेनी होगी। जिससे की उस टाइम पीरियड के बाद उसका करेक्टर कैस रहा? इसकी जांच जीआरपी कर सके। कानपुर सेंट्रल से हर महीने पांच हजार से ज्यादा एमएसटी और क्यूआरटी बनवाई जाती हैं। ऐसे में इन हजारों यात्रियों की पूरी डिटेल्स जब जीआरपी के पास होगी तो ये किसी भी तरह की गड़बड़ी करने से कतराएंगे। अक्सर ट्रेनों में होने वाले बवाल की जांच कर रही टीमों को भी दैनिक यात्रियों पर शक रहता है।

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एमएसटी और क्यूआरटी बनवाने के लिए दो फोटो, आईडी कार्ड और जीआरपी से स्वीकृत फार्मेट की एप्लीकेशन देनी होगी। इसके बाद ही एमएसटी और क्यूआरटी बनवाई जाएगी। ट्रेनों में होने वाले अपराधों को रोकने के लिए रेलवे ने ये कदम उठाया है। कानपुर सेंट्रल जीआरपी ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है।

-त्रिपुरारी पांडेय, जीआरपी इंस्पेक्टर, कानपुर सेंट्रल