- आठ महीने के बाद भी नहीं की गई चार्जशीट दाखिल

- जनपद भर के 24 पंपों पर मिली थी टीम को गड़बड़ी

आगरा। घटतौली में पेट्रोल पंपों पर कार्रवाई एफआईआर तक ही सीमित होकर रह गयी। आठ महीने में न तो इसमें चार्जशीट दाखिल हो सकी और न किसी आरोपी की गिरफ्तारी हो सकी। जबकि नियमानुसार 90 दिन में केस में चार्जशीट दाखिल हो जानी चाहिए। हालांकि किसी विशेष परिस्थितियों में समय सीमा बढ़ा दी जाती है।

छह विभागों ने कसा था शिकंजा

जिले में मई 2017 में पेट्रोल पंपों पर घटतौली के लिए अभियान चलाया गया। इसमें छह विभागों की टीम को शामिल किया गया। जांच के दौरान 192 पेट्रोल पंपों में से 24 में गड़बड़ी मिली। इसमें दो पेट्रोल पंपों पर पूर्ण रूप से घटतौली मिली थी। 22 पेट्रोल पंपों पल्सर टैम्परिंग पाई गई। जुलाई 2017 में निवर्तमान जिला पूर्ति अधिकारी वीके शुक्ला ने सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।

लखनऊ से चला था अभियान

एसटीएफ ने अप्रैल में लखनऊ में पेट्रोल पंपों पर घटतौली का खुलासा किया था। इसके बाद पूरे प्रदेश में घटतौली को लेकर छापेमारी की गई थी। इस दौरान प्रदेश भर के 6745 पेट्रोल पंपों की जांच की गई थी, जिसमें इसमें 345 पेट्रोल पंपों पर घटतौली पाई गई। वहीं, पूरे प्रदेश में 194 पेट्रोल पंपों चिप और रिमोट के जरिए घटतौली सामने आयी थी। ये खुलासा होने के बाद हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।