-25 अगस्त 1999 के बाद इस बार बन रहा सोमवार और नागपंचमी का योग

-रविवार रात 11.05 से शुरू हो रही पंचमी की तिथि

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PRAYAGRAJ: सावन महीने में सोमवार का सबसे अधिक महत्व है। पूरे माह में भगवान शिव की आराधना का महत्व शास्त्रों में भी बताया गया है। ऐसे में अगर नागपंचमी जैसा पर्व सोमवार को पड़ता है तो उसका विशेष महत्व हो जाता है। 20 साल बाद ऐसा संयोग इस बार नागपंचमी पर हो रहा है। ज्योतिषाचार्य पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली ने बताया कि इससे पूर्व यह संयोग 25 अगस्त 1999, श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी को बना था। हालांकि इस साल के संयोग और फलदायी हैं।

बेहद अद्भुत है योग
नागपंचमी को पड़ रहे अद्भुत संयोग को लेकर पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली ने बताया कि सावन के सोमवार और नागपंचमी दोनों का विशेष महत्व होता है। ऐसे में जब दोनों का योग एक साथ हो जाये तो इसका महात्म्य कई गुना बढ़ जाता है। इस साल पंचमी तिथि चार अगस्त दिन रविवार को रात 11.03 बजे से शुरू होगा। यह पांच अगस्त 2019 दिन सोमवार को रात 08.41 बजे तक रहेगा। इस दिन सुबह 06.54 बजे तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र। शाम को 05.24 बजे तक हस्त नक्षत्र, इसके बाद चित्रा नक्षत्र लग जाएगा। सिद्ध योग, बवकरण और श्रीवत्स योग के साथ-साथ, बुद्धि कारक ग्रह बुध और मन कारक ग्रह चन्द्र राशि परिवर्तन योग में विद्यमान रहेंगे। इस दिन सूर्य ,मंगल ,बुध एवं शुक्रका एक साथ कर्क राशि में चतुष्ग्रही होकर विद्यमान होना इस तिथि की शुभता को बढ़ाने वाला होगा।

ऐसे करें नागपंचमी पर पूजा
नागपंचमी के अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ गाय के गोबर से सर्प की आकृति बनाकर जल, दूध, दीप, नैवेद्य, आदि से विधि पूर्वक पूजन करें। इसके बाद दूध, धान का लावा तथा गेहूं का भोग लगाना चाहिए। इससे सभी नागगण प्रसन्न होते हैं। इस प्रकार पूजन करने पर सात पीढ़ीयों तक नागभय समाप्त हो जाता है।

कई साल बाद नागपंचमी पर ऐसा संयोग बन रहा है। ऐसे में विधिपूर्वक पूजन करने से कई प्रकार का शुभ-लाभ मिलता है।

-पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली

ज्योतिषाचार्य

नागपचंमी पर ऐसा योग 2023 में बनेगा। ऐसे में जरूरी है कि ऐसे महायोग का लाभ उठाए। विधि विधान के साथ नागपंचमी पूजन से सात पीढि़यों तक नाग भय समाप्त हो जाता है।

-आचार्य नागेश दत्त द्विवेदी