चेन्नई (पीटीआई)। शतरंज के मास्टर से क्रिकेटर बने युजवेंद्र चहल रविवार को पुराने प्रोफेशन में लौट आए। चहल ने एक ऑनलाइन ब्लिट्ज टूर्नामेंट में हिस्सा लिया, जिसका आयोजन चेस डॉट कॉम ने किया था। चहल का कहना है, इस खेल ने उन्हें क्रिकेट मैदान पर धैर्य रखना सिखाया। पूर्व राष्ट्रीय अंडर -12 शतरंज चैंपियन रहे युजवेंद्र चहल भारत के बेहतरीन स्पिनर हैं, हालांकि क्रिकेट में नाम कमाने से पहले उन्होंनें शतरंज की दुनिया में नाम कमाया। उन्हें युवा शतरंज चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने का गौरव प्राप्त है। यही नहीं विश्व शतरंज संघ (FIDE) में उनका नाम लिस्टेड है।

चेस के चलते क्रिकेट में मिली मदद

ग्रैंडमास्टर अभिजीत गुप्ता के साथ एक स्वतंत्र बातचीत में चहल ने कहा, 'शतरंज ने मुझे धैर्य सिखाया। क्रिकेट में जब आप गेंदबाजी करने जाते हैं, जरूरी नहीं कि आपको विकेट मिले। खासतौर से टेस्ट मैच में आप एक दिन बहुत अच्छी बॉलिंग करते हैं, मगर विकेट आपके खाते में नहीं होते। आपको धैर्य बनाकर अगले दिन फिर उसी उम्मीद के साथ मैदान में उतरना होता है। शतरंज ने मुझे इसमें बहुत मदद मिली है। मैंने धैर्य रखना सीखा।'

क्यों चुना क्रिकेट

एक बेहतरीन चेस प्लेयर के बावजूद चहल ने क्रिकेट को प्राथमिकता दी। वह भारत के लिए 52 वनडे और 42 टी 20 खेल चुके हैं। उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो वह बोले, 'मुझे शतरंज और क्रिकेट के बीच चयन करना था। मैंने पिताजी से बात की वह बोले, यह तुम्हारी इच्छा है। मुझे क्रिकेट में अधिक रुचि थी इसलिए इसे चुना।' ब्लिट्ज शतरंज में तीन प्रारूपों में से एक है जिसमें एक खिलाड़ी को 10 मिनट या उससे कम समय मिलते हैं। चहल इसके मास्टर रहे हैं। मगर अब वह प्रोफेशनल क्रिकेटर बन चुके हैं।

परिवार के साथ बिता रहे समय

चहल, जो विराट कोहली की अगुवाई वाली रॉयल चैलेंजर्स का हिस्सा रहे हैं। उन्हें उम्मीद थी कि इस आईपीएल वह और उनकी टीम शानदार प्रदर्शन करेगी। मगर कोरोना के चलते आईपीएल फिलहाल टल गया है। इस पर चहल कहते हैं, 'मुझे अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका नहीं मिलता है। कई सालों के बाद मैं घर पर हूँ। मैं अपने परिवार के साथ काफी समय बिता रहा हूं। यह एक अच्छा और नया अनुभव है। मैं देर से सोता हूं और देर से उठता हूं और अपने परिवार के साथ समय बिताता हूं।'

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