-पुलिस अधिकारियों ने केस ट्रांसफर करने के लिए शासन को लिखा पत्र

PRAYAGRAJ: बैंक ऑफ इंडिया की सुलेमसराय शाखा के करेंसी चेस्ट से 4.25 करोड़ रुपए के घपले की जांच अब आर्थिक अपराध शाखा यानी (इकोनॉमिक ऑफेंसेज विंग) करेगी। एक करोड़ से अधिक के आर्थिक मामलों से जुड़े केस की जांच इओडब्ल्यू ही करता है। इस नियम को देखते हुए पुलिस विभाग की तरफ से जांच ट्रांसफर करने के लिए पत्र शासन को भेजा गया है। जांच ट्रांसफर होने के बाद पुलिस द्वारा अब तक जुटाए गए सारे दस्तावेज उन्हें सौंप दिए जाएंगे।

को-ऑपरेट नहीं कर रहे अफसर

बैंक के चेस्ट अधिकारी वशिष्ठ कुमार द्वारा चार करोड़ 25 लाख के घपले जांच पुलिस के लिए भी आसान नहीं है। बैंक के ब्रांच मैनेजर और इंप्लॉयी पुलिस को कोआपरेट नहीं कर रहे हैं। शायद यही वजह है कि अब तक पुलिस को केस से जुड़ी सिर्फ इंटर्नल आडिट रिपोर्ट ही मिल सकी है। पुलिस ने बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर से हेड ऑफिस से आई टीम द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट मांगा है। यह भी कहा है कि वह अपनी विभागीय जांच पूरी कर सीसीटीवी के फुटेज व डीवीआर एवं चेस्ट के स्टाक रजिस्टर आदि की छाया प्रति भी वह पुलिस को सौंपे। ताकि पुलिस केस की गहराई तक जा कर जांच कर सके और उसमें से एक भी साक्ष्य मिटाए न जा सकें। बैंक से जुड़े सूत्र बताते हैं कि आरोपित चेस्ट अधिकारी कुछ ही माह में रिटायर होने वाला है।

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मुंबई टीम वापस, लखनऊ की डटी

बैंक ऑफ इंडिया के केस की जांच करने हेड ऑफिस मुंबई से आई टीम मंगलवार को वापस लौट गई। हालांकि मामले की तफ्तीश करने पहुंची लखनऊ मुख्यालय की टीम यहां डटी हुई है।

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दूसरे के नाम से बुक था कमरा

बैंक ऑफ इंडिया की शाखा सुलेमसराय के करेंसी चेस्ट में तैनात चेस्ट अधिकारी वशिष्ट कुमार यहां गुल्टेरिया रेजीडेंट में दूसरे के नाम से कमरा बुक कर रखा था। केस की रिपोर्ट दर्ज होने के जांच में जुटे विवेचक सियाकांत चौरसिया बैंक ही नहीं गुल्टेरिया रेजीडेंट भी पहुंचे। सूत्रों की मानें तो पड़ताल में उन्हें चौंकाने वाली स्थिति मिली है। आरोपित वशिष्ठ कुमार जिस कमरे में रहता था, वह कमरा किसी दूसरे के नाम से बुक था। मतलब यह कि वह जहां रहता था उस जगह पर भी अपना पता नहीं दिया।

वर्जन

केस एक करोड़ से अधिक का है इस लिए इओडब्लू को ट्रांसफर के लिए शासन को लिखा गया है। जब तक केस ट्रांसफर नहीं हो जाता, पुलिस मामले की जांच करती रहेगी। बैंक अधिकारियों से केस से जुड़े कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं। जिसे वह अब तक नहीं दे सके हैं।

-बृज नारायण सिंह, सीओ सिविल लाइंस