पूर्वाचल और बिहार के लोगों में छठ महापर्व का छाया उल्लास

षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अ‌र्ध्य देने के लिए परिचितों को भेजा बुलावा

ALLAHABAD: छठ एक ऐसा पर्व है जहां समानता और सद्भाव की अनूठी बानगी देखने को मिलती है। इसमें प्रकृति से प्रेम, सूर्य और जल की महत्ता भी दिखाई देती है। खासतौर से कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को संगम नोज, दशाश्वमेध घाट व बलुआघाट सहित अन्य घाटों पर हजारों की संख्या में व्रती डूबते हुए सूर्य को अ‌र्ध्य देंगे। व्रत में शामिल होने के लिए व्रती आसपास के लोगों और परिचितों को स्नेह निमंत्रण भेज रही हैं।

समूह दूर करता है व्रत की मुश्किलें

छठ पर्व के दूसरे दिन खरना का विशेष महत्व होता है। खरना के प्रसाद में व्रती महिलाएं गुड़ से बनी खीर व रोटी खाकर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करेंगी। ये सबसे कठिन माना जाता है। षष्ठी तिथि को व्रती परिजनों के साथ घाटों पर पहुंचेंगे। समूह में होने से व्रती की मुश्किल आसान हो जाएगी। अ‌र्ध्य से लौटने के बाद घर में रातभर गीत संगीत का दौर चलेगा।

आज होगी छठ व्रत की शुरूआत

भगवान सूर्य देव की उपासना का चार दिवसीय छठ पर्व मंगलवार को शुरू हो जाएगा। नहाय खाय के दिन व्रती महिलाएं साफ सुथरी रसोई में कद्दू, चावल व चने की दाल का भोजन ग्रहण करेंगी। इसके लिए सोमवार को घरों में चावल की सफाई और गेहूं को धुलकर सुखाया गया। ताकि षष्ठी तिथि को प्रसाद के रूप में सूर्य देव को चढ़ाने के लिए ठेकुआ बनाया जा सके।

भूखा-प्यासा रहकर डूबते सूर्य को अ‌र्ध्य देने जाना है। इसके लिए जरुरी है कि साथ में कुछ परिचित भी रहें। ताकि सफर आसानी से कट जाए।

मीनू

पर्व के दूसरे दिन खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखना है। इसलिए परिचितों को साथ चलने का आमंत्रण दिया गया है।

ऊषा

पिछले वर्ष भी षष्ठी तिथि को साथ चलने के लिए परिचितों को बुलाया गया था। कई किमी पैदल चलना होता है इसके लिए दो परिवार के सदस्यों को साथ रहने का अनुरोध किया है।

नेहा

समूह में चलकर कठिन से कठिन काम भी आसानी से पूरा हो जाता है। गीत गाते और एक-दूसरे का साथ देकर ही षष्ठी की पूजा आसानी से पूरी हो सकती है।

प्रतिभा कुमारी