- नियमों की अनदेखी कर जेपी एसोसिएट्स को सेानभद्र में आवंटित की थी 1083 हेक्टेयर वन भूमि

- एके जैन ने रिपोर्ट में लगाये थे गंभीर आरोप, अंतिम समय तक करते रहे सीबीआई जांच की मांग

द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

रुष्टयहृह्रङ्ख : करप्शन के खिलाफ मुहिम में जुटी योगी सरकार ने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक पवन कुमार को गुरुवार को हटा दिया। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि उन पर सोनभद्र में वन के लिये आरक्षित 1083 हेक्टेयर जमीन जेपी एसोसिएट्स को आवंटित करने का आरोप है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की जमकर अनदेखी की गई। संभावना जताई जा रही है कि अभी उन पर और भी बड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

मायावती सरकार के दौरान किया आवंटन

पवन कुमार पर आरोप है कि मायावती सरकार के कार्यकाल के दौरान सचिव वन रहते हुए आईएफएस अधिकारी पवन कुमार ने सोनभद्र जिले में वन की आरक्षित 1083 हेक्टेयर जमीन अवैध तरीके से जेपी एसोसिएट्स को आवंटित कर दी जबकि केंद्र सरकार की अनुमति के बिना यह जमीन किसी भी दशा में आवंटित नहीं की जा सकती थी। उनकी इस कार्यवाही से सरकार को 400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। उल्लेखनीय है कि वन भूमि आवंटित करने के लिये जो गाइडलाइन है उसके मुताबिक अगर किसी को वन भूमि आवंटित की जाती है तो उतनी ही जमीन दूसरी जगह ली जाए। साथ ही वन भूमि पर लगे पेड़ों से दोगुने पौधे की कीमत भी ली जाए।

अखिलेश सरकार ने वापस ले ली थी जमीन

सपा सरकार आने पर पवन कुमार के खिलाफ वन विभाग के ही वरिष्ठ अधिकारी एके जैन ने एक रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट के आधार पर अखिलेश सरकार ने जेपी एसोसिएट से जमीन वापस ले ली थी, लेकिन पवन कुमार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कहा तो यह भी जाता है कि पवन कुमार ने जेपी को जमीन देने के लिए सोनभद्र के डीएफओ और एफएसओ पर दबाव बनाया था। एफएसओ ने उनकी न सुनी तो हटाकर दूसरा एफएसओ पोस्ट किया गया जिसने मनमाफिक रिपोर्ट लगाई। डीएफओ ने जमीन आवंटन में लिख दिया कि शासन के निर्देश पर जमीन दी जा रही है। तब पवन कुमार के आदेश पर ही जमीन दी गई थी। एके जैन का बाद में एक दुर्घटना में निधन हो गया, लेकिन उससे पहले तक वह मोर्चा खोले थे और इस मामले की सीबीआई जांच की भी मांग की थी। इस मामले में तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री को जांच के लिए पत्र लिखा था।