अधीनस्थ अदालतों में भी नहीं होगा काम

एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी के रेकमेंडेशन को चीफ जस्टिस ने दी मंजूरी

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कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अब इलाहाबाद हाईकोर्ट और प्रदेश के समस्त अधीनस्थ न्यायालय (जिला अदालतें व अन्य) अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने प्रशासनिक कमेटी की संस्तुति पर यह आदेश जारी किया है। इस दौरान अति आवश्यक व जमानती मामलों की सुनवाई ही की जाएगी।

विशेष परिस्थिति में ही सुनवाई

इस संबंध में यह व्यवस्था की गई है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अनुमोदन से गठित पीठ व लखनऊ खंडपीठ में वरिष्ठ न्यायमूर्ति के अनुमोदन से गठित पीठ अति आवश्यक मामलों की सुनवाई करेगी। निबंधक शिष्टाचार आशीष कुमार श्रीवास्तव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि राज्य सरकार के अधीन कामर्शियल कोर्ट, दुर्घटना दावा अधिकरण, भूमि अधिग्रहण व पुनर्वास अधिकरण भी बंद रहेंगे। यह आदेश अब तक जारी हुए पिछले सभी आदेशों को अतिक्रमित करते हुए जारी किया गया है। अब हाईकोर्ट सहित प्रदेश की सभी जिला अदालतें, अधिकरण अगले आदेश तक बंद रहेंगे। कोर्ट कब खोले जाएंगे इस संबंध में वेबसाइट पर व विज्ञप्ति जारी करके आम लोगों को अवगत कराया जाएगा।

यूपी बार काउंसिल ने स्थगित किया आंदोलन

लॉकडाउन के समर्थन में यूपी बार काउंसिल ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। काउंसिल की ओर से प्रस्तावित प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन की नई तारीख लॉकडाउन खत्म होने के बाद तय की जाएगी। इसके साथ ही काउंसिल के प्रयागराज स्थित मुख्यालय में 14 अप्रैल तक अवकाश घोषित किया गया है। उक्त समयावधि तक मुख्यालय में कोई काम नहीं किया जाएगा।

यूपी बार काउंसिल की प्रमुख मांगें

-यूपी बार काउंसिल की ओर से जारी अधिवक्ता परिचय पत्र व सीओपी कार्ड ही प्रदेश की जिला अदालतों में प्रवेश के लिए मान्य हों।

-मृतक अधिवक्ताओं की पत्रावलियों का भुगतान किया जाय।

-पूर्व की सरकारों ने प्रति वर्ष 40 करोड़ न्यायी समिति को दावों के भुगतान के लिए दिए जाने का प्राविधान रहा है। मौजूदा सरकार भी उसका पालन करे।