29 फरवरी को दिया इस्तीफा
कृष्णा कुमार ने 29 फरवरी को ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के अगले ही दिन 1 मार्च को पी दिमरी को यहां का नया प्रॉक्टर नियुक्त कर दिया गया। एक खास रिपोर्ट की मानें तो यूनिवर्सिटी के एक दस्तावेज से इस तरह की जानकारी निकलकर सामने आई है कि कथित नारेबाजी की घटना के सामने आने के बाद जांच के लिए 11 फरवरी को प्रॉक्टर कमिटी का गठन किया गया था। इसके बावजूद सिर्फ चार घंटे बाद ही एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया।

वीसी ने गठित की नई जांच कमेटी
इस नई उच्च स्तरीय जांच कमेटी में प्रोफेसर राकेश भटनागर, प्रोफेसर एचबी बोहिदार और प्रोफेसर सुमन के धार शामिल हैं। दस्तावेजों पर गौर करें तो वीसी की ओर से उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी ने पहले गठित की गई कमेटी की जगह ली।

ऐसा है नियम
अब गौर करते हैं यूनिवर्सिटी के नियमों पर। यहां के नियमों के अनुसार प्रॉक्टर का कार्यालय ही शिक्षकों और टीचर्स से जुड़े हुए मामलों को देखता है। ऐसे में कुमार को मजबूरन उस चिट्ठी पर भी हस्ताक्षर करना पड़ा, जिसमें कुल आठ छात्रों को बहिष्कृत किए जाने की बात की गई थी।

इनके नाम हैं शामिल  
इन आठ छात्रों में कन्हैया कुमार, अनिर्बान भट्टाचार्य, श्वेता राज, उमर खालिद, अनंत प्रकाश, रामा नागा, ऐश्वर्या अधिकारी और आशुतोष कुमार का नाम शामिल है। अब इनको लेकर सूत्रों की बातों का विश्वास करें तो इस पूरे मामले में कुमार का रबर स्टांप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था।

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