कौन देगा जवाब

- उठ रहा बड़ा सवाल, अस्पताल में भी न बच सकी जान तो फिर कहां बचेगी

- बच्ची को लेकर डॉक्टरों के सामने खड़े रहे परिजन, तुरंत क्यों नहीं किया एडमिट

- तीन घंटे तक बच्ची को लेकर भटकते रहे परिजन, किसी ने क्यों गंभीरता से नहीं लिया

- डॉक्टरों को खुद नहीं पता भर्ती करने के लिए कहां भेजें, इस अव्यवस्था का जिम्मेदार कौन

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- सुबह 11 बजे नवजात को लेकर मां-बाप पहुंचे, इधर-उधर चक्कर लगवाते रहे डॉक्टर

- इलाज के डॉक्टर और सभी संसाधन उपलब्ध थे, फिर भी नहीं किया एडमिट

बरेली: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में जिम्मेदार डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही ने एक पांच दिन की नवजात बच्ची की जान ले ली। सीएम ने इस मामले में सीधे एक्शन लेते हुए पुरुष हॉस्पिटल के सीएमएस को सस्पेंड करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं, महिला हॉस्पिटल की सीएमएस के खिलाफ जांच के आदेश हुए हैं। आदेश में साफतौर पर कहा गया है कि एक गंभीर रूप से बीमार बच्ची को पुरुष हॉस्पिटल लाया गया था। यहा बच्चों के पर्याप्त डॉक्टर मौजूद थे फिर भी बच्ची को परिजनों से महिला हॉस्पिटल ले जाने के लिए कह दिया गया। महिला हॉस्पिटल से वापस पुरुष हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया गया।

तीन घंटे तक परिजन नवजात को लेकर महिला हॉस्पिटल और पुरुष हॉस्पिटल के बीच चक्कर लगाते रहे। सीरियस बच्ची को को एडमिट कहां किया जाए। डॉक्टर यह तय ही करते रह गए। उन्हीं के सामने अपनी नानी की गोद में बच्ची की सांसें थम गईं। बच्ची की मौत के बाद परिवार वालों ने हंगामा किया तो भीड़ जुट गई। सभी के समझाने पर परिवार वाले कोतवाली में तहरीर देने के बाद बच्ची के शव को लेकर चले गए।

सांस नहीं ले पा रही थी बच्ची

विशारतगंज के गोकुलपुरा गांव निवासी किसान योगेंद्र सिंह पांच दिन की बेटी उर्वशी को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल लेकर आए थे। परिजनों के अनुसार, बच्ची ठीक से सांस नहीं ले पा रही थी। ओपीडी में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एसएस चौहान ने बच्ची को देखा और बच्ची को प्री मेच्योर बताते हुए महिला हॉस्पिटल में बने एसएनसीयू के लिए रेफर कर दिया। परिजन नवजात को लेकर एसएनसीयू में पहुंचे तो वहां डॉक्टर सौरभ मिले उन्होंने एसएनसीयू में वार्मर नहीं होने की बात कहते हुए पुरुष हॉस्पिटल वापस भेज दिया। दोपहर करीब दो बजे बच्ची ने तड़पकर दम तोड़ दिया।

दोनों सीएमएस आपस में उलझे

एक ओर बच्ची की हालत लगातार बिगड़ रही थी, तो दूसरी ओर दोनों जिला पुरुष और महिला हॉस्पिटल के सीएमएस एक दूसरे पर ही लापरवाही का आरोप लगा रहे थे। तीमारदारों के सामने ही दोनों सीएमएस में जमकर नोकझोंक भी हुई। वहीं, बच्ची के परिजन ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने के लिए कोतवाली में तहरीर दी है।

वार्मर नहीं थे, इसलिए वापस भेजा

महिला हॉस्पिटल की सीएमएस डॉ। अल्का शर्मा ने बताया कि हमारे पास 12 नए वार्मर आए थे लेकिन उनमें टेक्निकल प्रॉब्लम थी जिस कारण वार्मर 1 मई को ही वापस चले गए। इसके लिए एडी हेल्थ ने भी एक पत्र 10 जून को जारी किया कि एसएनसीयू में वार्मर नहीं हैं। सिर्फ चार ही वार्मर हैं।

हॉस्पिटल की ओपीडी में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। एसएस चौहान ने नवजात को देखा था। बच्ची प्री मेच्योर थी, इसीलिए बच्ची को एसएनसीयू के लिए रेफर किया था, लेकिन वहां पर एडमिट नहीं किया गया। डॉक्टर का कहना है कि दोबारा बच्ची हमारे पास नहीं आई, फिलहाल सीसीटीवी फुटेज निकलवाकर जांच कराई जा रही है।

डॉ। केएस गुप्ता, एडीएसआईसी

बच्ची को ओपीडी से डॉक्टर चौहान ने रेफर किया था, एसएनसीयू में डॉक्टर सौरभ ने बच्ची को देखा था, लेकिन हमारे हॉस्पिटल की एसएनसीयू में सिर्फ 4 वार्मर है जिसमें एक वार्मर में दो-दो बच्चे एडमिट है। जो 12 नए वार्मर आए थे, वह टेक्निकल प्रॉब्लम के कारण वापस भेज दिए गए थे। इसीलिए बच्ची को वापस किया गया।

डॉ। अलका शर्मा, सीएमएस महिला हॉस्पिटल